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प्रियंका ने की PM को पत्र लिख अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग

प्रियंका ने की PM को पत्र लिख अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग

लखनऊ डेस्क/ कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर एक बार फिर से बड़ी मांग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपितों को बचा रही है।

लखनऊ स्थित कौल हाउस में पत्रकारों से बातचीत में कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री मोदी को संबोधित पत्र पढ़कर सुनाया। उन्होंने कहा कि कल आपने तीन काले कृषि कानूनों को किसानों पर थोपने के अत्याचार को स्वीकारते हुए उन्हें वापस लेने की घोषणा की। लखीमपुर खीरी में किसानों के साथ हुई क्रूरता को देश ने देखा। किसानों को अपनी गाड़ी से कुचलने का मुख्य आरोपित केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का बेटा है।

उन्होंने कहा कि इस मामले में यूपी सरकार ने शुरूआत से ही न्याय की आवाज को दबाने की कोशिश की। आपको यह जानकारी भी है कि किसानो को अपनी गाड़ी से कुचलने का मुख्य आरोपी आपकी सरकार के केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री का बेटा है। राजनीतिक दबाव के चलते इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने शुरुआत से ही न्याय की आवाज को दबाने की कोशिश की। उच्चतम न्यायालय ने इस संदर्भ में कहा कि सरकार की मंशा देखकर लगता है कि सरकार किसी विशेष आरोपी को बचाने का प्रयास कर रही है।

प्रियंका ने लखनऊ आगमन पर पीएम का स्वागत करते हुए उन्होंने लखनऊ में डीजीपी कांफ्रेंस में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के साथ मंच साझा नहीं करने की अपील भी की है।

प्रियंका ने पत्र में आगे लिखा कि मैं लखीमपुर खीरी कांड के पीड़ित परिवारों से मिली हूं। वे असहनीय पीड़ा में हैं। सभी परिवारों का कहना है कि वे सिर्फ न्याय चाहते हैं और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पद पर बने रहते न्याय संभव नहीं है। उन्होंने आगे लिखा है कि लखीमपुर खीरी केस की जांच की हालिया स्थिति पीड़ित परिवारों की आशंका को सही साबित करती है। देश की कानून व्यवस्था के जिम्मेदार गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आपके उसी मंत्री के साथ मंच साझा कर रहे हैं।

उन्होंने आगे लिखा कि आप देश के प्रधानमंत्री हैं और किसानों के प्रति अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह से समझते होंगे। हर देशवासी के लिए न्याय सुनिश्चित करना प्रधानमंत्री का कर्तव्य ही नहीं, उनका नैतिक दायित्व होता है। कल देशवासियों को सम्बोधित करते हुए आपने कहा कि सच्चे मन और पवित्र हृदय से किसानों के हित को देखते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने का अभूतपूर्व निर्णय लिया गया है। आपने यह भी कहा कि देश के किसानों के प्रति आप नेक नियत रखते हैं।

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