कानपुर डेस्क/ कानपुर पुलिस ने बिकरू नरसंहार मामले में दो आरोपियों जयकांत बाजपेयी और उनके सहयोगी प्रशांत दुबे उर्फ डब्बू के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया है। जयकांत गैंगस्टर विकास दुबे का कथित फाइनेंसर था, जिसने 3 जुलाई, 2020 को बिकरू हत्याकांड का मास्टरमाइंड किया था, जिसमें आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे।
बाजपेयी पर बिकरू घात से पहले 2 जुलाई को प्वाइंट 32 बोर रिवॉल्वर के 25 कारतूस और 2 लाख रुपये नकद उपलब्ध का आरोप है। उसने हत्याकांड के तुरंत बाद गैंगस्टर को भागने में मदद करने का भी प्रयास किया था। यह सब जांच के दौरान सामने आया और बाद में पुलिस ने बिकरू मामले में उसका नाम शामिल कर लिया।
पुलिस ने एनएसए लगाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट (कानपुर) के समक्ष रिपोर्ट पेश की थी। पुलिस अधीक्षक अष्टभुजा सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी के बाद इन दोनों को जेल में एनएसए की कार्रवाई का नोटिस दिया गया था। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि जयकांत को पता था कि विकास पुलिस के खिलाफ एक बड़ी साजिश रच रहा है, लेकिन उसने पुलिस को इसकी सूचना नहीं दी। कानपुर (बाहरी) के चौबेपुर पुलिस थाने ने रिपोर्ट तैयार कर जिलाधिकारी के समक्ष पेश की।
इससे पहले बिकरू मामले में तीन लोगों के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई हो चुकी है। पुलिस ने इस साल 1 जुलाई को दो आरोपियों बबलू मुस्लिम और रमेश चंद्र के खिलाफ एनएसए लगाया था। इससे पहले, पुलिस ने विकास के एक सहयोगी और चचेरे भाई शिवम दुबे के खिलाफ एनएसए लगाया था, जो गैंगस्टर के साथ कथित तौर पर आठ पुलिसकर्मियों को मारने में शामिल था।
एनएसए के तहत, किसी व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है यदि अधिकारियों को लगता है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा या कानून और व्यवस्था के लिए खतरा है। तीन जुलाई को कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में विकास और उसके साथियों ने आठ पुलिसकर्मियों पर घात लगाकर हमला किया था।
दुबे 10 जुलाई की सुबह एक मुठभेड़ में मारा गया था जब उज्जैन से कानपुर ले जा रही पुलिस की एक गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई और उसने मौके से भागने की कोशिश की थी। मुठभेड़ से पहले उसके पांच कथित सहयोगी अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए थे, जबकि दो पुलिसकर्मियों और चार महिलाओं समेत 45 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।