लखनऊ डेस्क/ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश में सहायक शिक्षकों के 68 हजार 500 पदों पर भर्ती प्रकिया में कथित गड़बड़ी के लेकर एकल पीठ द्वारा पारित सीबीआई जांच के आदेश को रद कर दिया है। डिवीजन बेंच ने पहले ही 11 दिसम्बर 2018 को एकल पीठ के उक्त आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी और साथ ही सीबीआई को इस मामले में दर्ज की गयी प्राथमिकी के संदर्भ में कोई कार्यवाही करने से भी रोक दिया है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोविंद माथुर व जस्टिस मनीष माथुर की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार की ओर से दायर विशेष अपील को मंजूर करते हुए सोमवार को कहा कि प्रकरण में एकल पीठ के समछ ऐसा कोई मैटीरियल नहीं था कि सीबीआई जांच का आदेश दिया जाताा।
सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने पूर्व में तर्क दिया था कि पूरी भर्ती प्रकिया पारदर्शी व निष्कलंक है। इसमें किसी प्रकार का अपराधिक कृत्य या षड़यंत्र शामिल नहीं है जबकि एकल पीठ ने अपने आदेश में बिना किसी सबूत और जाचं के ही भर्ती में भ्रष्टाचार करार दे दिया जो कि सरासर तथ्यें के विपरीत और मनमाना है।
महाधिवक्ता का यह भी तर्क था कि कुछ अभ्यर्थियों के मामले में परीक्षक से गलती हो गई थी जिसे स्वीकार करते हुए ठीक कर लिया गया था जिसके बाद एकल पीठ के सीबीआई जांच का कोई औचित्य नहीं था। उनका तर्क था कि एकल पीठ का बिना तथ्यें के बिना ठीक से देखे व समझे ही पारित किया गया है लिहाजा ठहरने योग्य नहीं है।