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अलगाववादी समर्थित हड़ताल के कारण लगातार 22वें दिन घाटी में जनजीवन ठप्प रहा

श्रीनगर डेस्क / श्रीनगर, अनंतनाग और पाम्पोर के कुछ हिस्सों को छोड़कर कश्मीर घाटी से कर्फ्यू हटा लिया गया | हालांकि अलगाववादी समर्थित हड़ताल के कारण यहां जनजीवन अब भी अस्त-व्यस्त है| एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि घाटी के ज्यादातर हिस्सों से कर्फ्यू हटा लिया गया है लेकिन पूरे कश्मीर में चार या अधिक लोगों के जमावड़े पर अभी भी प्रतिबंध है|

उन्होंने बताया, ‘‘फिलहाल अनंतनाग, पम्पोर और श्रीनगर के पांच थाना क्षेत्रों-नौहट्टा, खानयार, रैनावारी, सफाकदल और महाराजगंज में कर्फ्यू जारी है|’’ अलगावादियों ने ऐतिहासिक जामा मस्जिद तक रैली निकालने का आह्वान किया था जिसे नाकाम करने के लिए प्रशासन को पूरे कश्मीर में कर्फ्यू लगाना पड़ा था और प्रतिबंध लागू करने पड़े थे| पूरी घाटी में कम से कम 70 स्थानों पर हुई झड़पों में सुरक्षा बलों के 46 जवानों समेत सौ से ज्यादा लोग घायल हुए हैं|

इस बीच कल रात हुई एक दुर्घटना में एक मोटरसाइकिल सवार की मौत हो गई| पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि अब्दुल अहद गनई नाम का व्यक्ति अपने बेटे के साथ बड़गांव जिले के बीरवाह इलाके के हर्दपुंजू में मोटरसाइकल पर जा रहा था तभी यातायात रोकने के लिए सड़क पर बिछाए गए तार में उलझ गया. दुर्घटना में पिता-पुत्र दोनों घायल हुए लेकिन गनई की बाद में मौत हो गई| प्रवक्ता ने बताया कि ये अवरोधक असामाजिक तत्वों ने लगाए थे|

नौ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद पूरी घाटी में प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया था. पूरी घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवा पर अब भी पाबंदी लगी हुई है लेकिन सभी नेटवर्कों की पोस्टपेड सेवा बहाल कर दी गई है| प्रीपेड कनेक्शनों पर इनकमिंग सुविधा उपलब्ध है लेकिन घाटी के बाहर के नंबरों पर आउटगोइंग सेवा बंद है|

अलगाववादी समर्थित हड़ताल के कारण लगातार 22वें दिन घाटी में जनजीवन ठप्प रहा| यह हड़ताल 31 जुलाई तक जारी रहेगी|

 

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