लखनऊ डेस्क/ दिनांक 12.05.2022 को पूर्वाहन् 11ः00 बजे उ.प्र. राज्य महिला आयोग द्वारा ’’लैंगिक समानता विषय पर आयोजित महिला जागरूकता कार्यक्रम’ का आयोजन उ.प्र. राज्य महिला आयोग के भूतल पर स्थित सभागार कक्ष में कराया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बेबी रानी मौर्य, मंत्री, महिला कल्याण, उ.प्र., अति विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रतिभा शुक्ला, राज्यमंत्री, महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार, उ.प्र.शासन एवं असीम अरूण, राज्यमंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) समाज कल्याण विभाग, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग, उ.प्र., विशिष्ट अतिथि के रूप में अनीता सी. मेश्राम, प्रमुख सचिव, महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग उ.प्र. व मनोज राय निदेशक महिला कल्याण विभाग एवं उ.प्र. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम, उपाध्यक्ष सुषमा सिंह, उपाध्यक्ष अंजु चौधरी व समस्त सदस्यगण अनीता सिंह, सुमन चतुर्वेदी, इन्द्रवास सिंह, सुनीता बंसल, निर्मला द्विवेदी, राखी त्यागी, निर्मला दीक्षित, मीना कुमारी, डॉं. कंचन जायसवाल, प्रभा गुप्ता, पूनम कपूर, मनोरमा शुक्ला, ऊषारानी, अनिता सचान, शशि मौर्या, कुमुद श्रीवास्तव, रामसखी कठेरिया, संगीता तिवारी, अवनी सिंह, सुमन सिंह, अंजू प्रजापति, अर्चना, मिथिलेश अग्रवाल, रंजना शुक्ला, वित्त एवं लेखाधिकारी स्वाती वर्मा व बडी संख्या में गणमान्य व्यक्तियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
कार्यक्रम में पीयूष एंटोनी सामाजिक नीति विशेषज्ञ यूनीसेफ द्वारा पी.पी.टी. के माध्यम से लैगिक समानता विषय पर विस्तृत जानकारी दी गयी एवं विषय सम्बन्धित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि बेबी रानी मौर्य, मंत्री महिला कल्याण, उ.प्र. द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। मंत्री बेबी रानी मौर्य द्वारा कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा गया कि लैगिक असमानता का कारण लोगों का महिलाओं के साथ खडा न होना एवं अपने संस्कारों से दूर जाना है। भेदभाव को दूर करने के लिये हर मां अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दे एवं आयोग की मा. सदस्यगण ग्रामीण अंचलों का भ्रमण करें तथा सरकार की योजनाओं को साझा करें साथ ही जागरूकता तथा विधिक शिविर लगाये ताकि अधिक से अधिक महिलाओं व बालिकाओं को सरकार की योजनाओं तथा अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी हो सके।
असीम अरूण, राज्यमंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) समाज कल्याण विभाग,अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग, उ.प्र.,द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया कि हर महिला व बालिका स्वावलम्बी होकर सशक्त बने ताकि उसे अपनी सुरक्षा के लिए किसी पुरूष की तरफ ना देखना पडे। महिलाओं को सशक्त करने के लिए जन सहभागिता की आवश्यकता है जिसके लिए जन आन्दोलन किया जाना आवश्यक है। वर्तमान परिदृश्य में महिलाओं के लिए सुरक्षा का माहौल बढ़ा है। हमें बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जी की परिकल्पना के अनुसार कार्य करना है। वर्तमान सरकार द्वारा किन्नर कल्याण बोर्ड की स्थापना करते हुये एक बडे उपेक्षित वर्ग के बारे में सोच की पहल की है।
प्रतिभा शुक्ला, राज्यमंत्री, महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार, उ.प्र.शासन, द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया कि असमानता को दूर करने के लिए नारी को आगे आना होगा। नारी सशक्तीकरण के बाद ही यह अन्तर दूर होगा, बलात्कार जैसी घटनायें संस्कारों के अभाव में घटित होती हैं। बेटे व बेटी को उत्तम चरित्र की शिक्षा दें। अनीता सी. मेश्राम, प्रमुख सचिव, महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग द्वारा अपने सम्बोधन में उ.प्र. सरकार द्वारा महिला कल्याण विभाग के माध्यम से चलाई जा रही योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी गयी एवं इस सम्बन्ध में विभिन्न आंकडे भी प्रस्तुत किये।
उ.प्र. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि, अति विशिष्ट अतिथि, विशिष्ट अतिथि, आयोग की सदस्यगणों, कार्यक्रम में उपस्थित महिलाये एवं बालिकायें व उपस्थित पत्रकार बन्धुओं का कार्यक्रम में प्रतिभाग करने के लिए धन्यवाद दिया व कहा गया कि लैगिक समानता के लिये यह आवश्यक है कि महिलाओं के सुरक्षा, सम्मान व स्वावलम्बन के लिये कार्य किया जाये। ग्रामीण क्षेत्रों में बेटियों के साथ भेदभाव होता है जो नहीं होना चाहिए। बेटा व बेटी को समान रूप से शिक्षित किया जाना चाहिए।
सुषमा सिंह उपाध्यक्ष द्वारा उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुये मुख्य अतिथि के साथ अपने व्यक्तिगत अपने अनुभवों को साझा करते हुये बालिकाओं से सम्बन्धित एक कविता बिटिया पढेगी-बिटिया बढेगी का पाठ किया। अंजु चौधरी उपाध्यक्ष द्वारा लैगिक असमानता के बारे में बताते हुये कहा कि रीति-रिवाज, शिक्षा का अभाव, राजनैतिक प्रभाव, भावनात्मक असुरक्षा इसका कारण है। कार्यक्रम के अन्त में आयोग की सदस्य सचिव, अर्चना गहरवार ने कार्यक्रम में आये हुये सभी अतिथिगणों का आभार प्रकट किया।