मुंबई डेस्क/ कोविड-19 के कारण वित्तीय बाजार में पैदा हुई गड़बड़ी को दूर करने के लिये रिजर्व बैंक ने नकदी बढ़ाने के जो उपाय किये उनकी बदौलत कॉरपोरेट बांड बाजार में वित्तपोषण लागत दशक के निम्नस्तर पर आ गई है। आरबीआई बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में यह कहा गया है।
यह लेख रिजर्व बैंक के वित्तीय बाजार परिचालन विभाग के राधा श्याम राठो और प्रदीप कुमार ने तैयार किया है। आरबीआई के जुलाई माह के बुलेटिन में यह लेख प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने वित्तीय बाजार में सामान्य परिचालन स्थिति बहाल करने के लिये कई परंपरागत और गैर- परंपरागत उपायों की शुरुआत की।
लेख में कहा गया है, ‘‘रिजर्व बैंक द्वारा जेनरिक के साथ ही लक्षित उपायों (टीएलटीआरओ) तथा घोषित नीतिगत उपायों के जरिये वित्तीय तंत्र में जो व्यापक नकदी उपलब्ध कराई गई उनसे कॉरपोरेट बांड बाजार में लागत को नीचे लाने में मदद मिली है। यह लागत दशक के निम्न स्तर पर आ गई। इससे गैर-एएए रेटिंग वाली इकाईयों की पहुंच भी बढ़ी है और प्राथमिक स्तर पर रिकॉर्ड निर्गम हुये हैं।’’
इसमें कहा गया है कि वर्ष 2020 में कॉरपोरेट बांड से करीब 3 अरब डॉलर की पूंजी निकासी होने के बावजूद इस क्षेत्र में प्रतिफल नीचे आया है और प्रसार पर दबाव बढ़ा है।