नई दिल्ली डेस्क/ सीबीएसई बोर्ड ने बोर्ड परीक्षा के लिए 10वीं एवं 12वीं कक्षा के छात्रों का ब्यौरा एकत्र करना शुरू कर दिया है। इस संदर्भ में सीबीएसई बोर्ड ने देशभर के स्कूलों के लिए एक नोटिस भी जारी किया है। नोटिस में सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि सभी स्कूलों को तय समय में छात्रों की जानकारी ‘लिस्ट ऑफ कैडिडेट्स’ यानी एलओसी बनाकर बोर्ड को भेजनी होगी। यह प्रक्रिया शुक्रवार यानी 17 सितंबर से शुरू हो गई है। इस माह के अंत यानी 30 सितंबर तक देशभर के सभी सीबीएसई स्कूल बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले अपने छात्रों का ब्यौरा सीबीएसई को भेज सकते हैं। यह ब्यौरा ऑनलाइन माध्यम से बोर्ड को भेजा जाएगा।
दरअसल सीबीएसई बोर्ड 16 अगस्त को ही स्कूलों को छात्रों का ब्यौरा यानी एलओसी बनाने का निर्देश दे चुका है। बोर्ड द्वारा इस प्रक्रिया को आधिकारिक रूप से 17 सितंबर से शुरू किया जा रहा है इसके लिए उपलब्ध कराए गए पोर्टल पर जाकर विभिन्न स्कूलों को अपना विवरण अपलोड करना होगा।
सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज पहले ही बता चुके हैं कि सीबीएसई बोर्ड इस बार दो चरणों में बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने जा रहा है। कोरोना महामारी के मद्देनजर सावधानी बरतते हुए यह कदम उठाया गया है। इस योजना के तहत बोर्ड परीक्षा का पहला चरण नवंबर व दिसंबर माह के दौरान आयोजित किया जाएगा।
सीबीएसई बोर्ड का कहना है कि पहले चरण की परीक्षाओं की तैयारियों को देखते हुए बोर्ड ने सभी स्कूलों और प्रधानाचार्यों को उम्मीदवारों की सूची जमा करने का निर्देश दिया है। देशभर के ऐसे सभी स्कूल जो सीबीएसई से एफिलिएटिड है वे अब अपनी आधिकारिक लिस्ट सीबीएसई के संबंधित पोर्टल पर अपलोड कर सकेंगे। सीबीएसई के मुताबिक स्कूलों के लिए यह सुविधा 30 सितंबर तक जारी रहेगी।
सीबीएसई ने स्कूलों के लिए नोटिस जारी करते हुए कहा है कि सभी स्कूलों को एलओसी तैयार करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक छात्र का डाटा पूरा और मानदंडों के अनुरूप होना चाहिए। बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों का यह ब्यौरा स्कूलों को सही प्रक्रिया से तय समय के अंदर अपलोड करना होगा। साथ ही स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जिस छात्र की जानकारी उनके द्वारा अपलोड की जा रही है वह छात्र किसी अन्य शिक्षा बोर्ड में पंजीकृत तो नहीं है। स्कूलों को केवल अपने छात्रों का ब्यौरा बनाना है और यह सुनिश्चित करना होगा की छात्र विभिन्न आवश्यक क्रियाकलापों के लिए कक्षाओं में आ सकें।