अयोध्या डेस्क/ अयोध्या में राम मंदिर के ‘भूमिपूजन’ के लिए पांच दिन शेष रह जाने के कारण यहां तैयारियां अंतिम पड़ाव पर है। इस दाैरान श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने इस आयोजन के लिए और अधिक अयोध्या संतों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया है। ट्रस्ट के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अयोध्या में कुछ वरिष्ठ संतों को भूमि पूजन’ कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है। इससे वे काफी नाराज हैं। महंत धर्मदास उनमें से एक हैं। इसलिए हमने इन संतों को आमंत्रित करने का फैसला किया है क्योंकि वे पूरे मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहे हैं।
ट्रस्ट ने शुरू में कोविड-19 महामारी के कारण समारोह के लिए केवल 200 लोगों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया था, लेकिन अब राम जन्मभूमि स्थल पर संस्कृति विभाग की ओर से प्रदर्शनी नहीं लगाई जाएगी। उस स्थान का उपयोग लगभग 600 और संतों के बैठने के लिए किया जाएगा। सोशल डिस्टेंसिंग नॉर्म्स के अनुपालन में कुर्सियों को कार्यक्रम स्थल पर रखा जाएगा। अयोध्या के विभिन्न अखाड़ों और मठों ने ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के समक्ष इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। इसलिए इन संतों को नाराज नहींं किया जाएगा उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाएगा।
महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा राम मंदिर के लिए भूमिपूजन एक ऐतिहासिक क्षण है। संतों ने समारोह में आने का अनुरोध किया है। इस बात की संभावना है कि अधिक संतों को समारोह में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 अगस्त को सुबह 11 बजे अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है और उनके लगभग तीन घंटे तक वहां रहने की संभावना है। पीएम पहले हनुमान गढ़ी में पूजा करेंगे और उसके बाद मानस भवन में प्री-फैब्रिकेटेड मंदिर जाएंगे जहां भगवान राम की मूर्ति रखी गई है।फिर वह ‘भूमि पूजन’ के लिए राम जन्मभूमि के लिए रवाना होंगे।