लखनऊ डेस्क/ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने केन्द्र सरकार पर 500 रूपये और 1000 रूपये के नोटों की वैधता समाप्त करके देश में ‘अघोषित आर्थिक इमर्जेन्सी’ जैसा वातावरण पैदा करने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने ढाई साल के अपने कार्यकाल में अपना ‘पूरा बंदोबस्त’ करने के बाद जनता में त्राहि-त्राहि मचाने वाला यह कदम उठाया।
मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आता देख अपनी कमियों से जनता का ध्यान हटाने के लिये चुनाव से ऐन पहले देश में कालेधन पर अंकुश लगाने के लिये इमर्जेन्सी लगाने जैसा वातावरण पैदा किया है। इससे देश में 90 प्रतिशत लोग दुखी हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के इस फैसले के बाद लोगों में यह चर्चा है कि केन्द्र ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में अपना और अपनी पार्टी की आर्थिक मजबूती का ‘सारा बंदोबस्त’ कर और पूंजीपतियों को बड़े पैमाने पर लाभ पहुंचाने के बाद आम जनता को परेशान करने का ये कदम उठाया है। जब यह पूरा काम हो गया तो उनको काले धन की याद आयी। बसपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि केन्द्र ने इतना बड़ा फैसला लेने से पहले गरीबों के बारे में नहीं सोचा।
मायावती ने कहा, ‘‘मैं कहना चाहती हूं कि इस फैसले से कालाबाजारी बढ़ गयी है। कुछ देर के लिये पेट्रोल पम्पों पर लूट हुई। भाजपा ने उनसे साठगांठ की है कि जितना कमाना है कमा लो, कुछ हिस्सा हमको दे देना। अस्पतालों और मेडिकल स्टोर पर लोगों को भारी परेशानियां हुईं।’’ उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा नुकसान गरीबों, मजदूरों और छोटे कारोबारियों को हुआ। भाजपा का वोट बैंक वे गरीब लोग नहीं हैं। जनता आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा एण्ड कम्पनी को इसकी सख्त सजा देगी।