लखनऊ डेस्क/राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर इलाके में देर रात पुलिस ने एक युवक एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी। गृहणी कल्पना अपने मैनेजर पति विवेक तिवारी का इंतजार कर रही थी | रात के करीब बारह बज रहे थे | तभी फोन की घंटी बजती है | उधर से पुलिस, गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर देती है |
आनन-फानन में परिवार अस्तपाल की ओर दौड़ता है | तब तक विवेक तिवारी दम तोड़ चुका होता है | लेकिन परिवार वालों के लिए ‘मौत’ पर यकीन करना मुश्किल था | क्योकि विवेक के सिर में गोली लगी थी और गोली उत्तर प्रदेश पुलिस के एक सिपाही ने मारी थी | विवेक के गोली सिर्फ में लगी थी | पुलिस जैसे जिम्मेदार महकमे का सिपाही कानून और कोर्ट को दरकिनार कर सिर्फ शक होने पर बीच शहर में गोली मारकर हत्या कर देगी ?
वही विवेक तिवारी की पत्नी ने कहा कि पुलिस ने हमें बताया कि वे (विवेक तिवारी) एक लड़की के साथ कार में आपत्तिजनक हालात में थे | पुलिस को ये किसने अधिकार दिया कि वो गाड़ी नहीं रोकने पर गोली चला दे? मुझे जवाब चाहिए | योगी जी ने कौन सा ऐसा कानून बना रखा है | आपत्तिजनक हालात में थे तो भी पुलिस गोली चलाने वाली कौन होती है? सुप्रीम कोर्ट ने 497 धारा को लेकर अभी ही फैसला दिया है | कोई भी मामला हो फिर भी पुलिस कैसी गोली चला सकती है?