TIL Desk कोच्चि (केरल):केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी महिला की ‘‘शारीरिक संरचना’’ पर टिप्पणी यौन दृष्टि से प्रेरित टिप्पणी है, जो यौन उत्पीड़न के तहत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आएगी।
न्यायमूर्ति ए. बदरुद्दीन ने इस संबंध में केरल राज्य विद्युत बोर्ड (केएसईबी) के एक पूर्व कर्मचारी की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। याचिका में आरोपी ने उसी संगठन की एक महिला कर्मचारी द्वारा उसके खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न के मामले को रद्द करने का अनुरोध किया था।