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पीसीएस मुख्य परीक्षा में भी सिविल सेवा की तर्ज पर बदलाव की मांग

TIL Desk/Allahabad- पिछले पांच वर्षों में आयोगों की भर्ती परीक्षाओं के प्रारूप में व्यापक बदलाव हुए हैं। इसकी वजह से प्रतियोगियों के सामने तैयारी में तालमेल बैठाने की चुनौती होती है। इन वजहों से प्रतियोगी पीसीएस मुख्य परीक्षा में भी सिविल सेवा की तर्ज पर बदलाव की लगातार मांग कर रहे हैं। सिविल सेवा-2015 का परिणाम तो संगम नगरी के मेधावियों के लिए सबसे अधिक झटका देने वाला रहा।
इस स्थिति के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अलावा माध्यमिक और बेसिक शिक्षा में पढ़ाई का गिरता स्तर तो वजह है ही, परीक्षा प्रारूप एवं सिलेबस में लगातार बदलाव तथा इसमें एकरूपता न होना भी बड़ा कारण है।
पहले संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज तथा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस, लोअर सबऑर्डिनेट एवं समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ-एआरओ) भर्ती परीक्षाओं के पैटर्न तथा सिलेबस में एकरूपता थी। सभी भर्तियों की मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन, निबंध के अलावा दो वैकल्पिक विषय होेते थे। ऐसे में अभ्यर्थी सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की एक साथ तैयारी कर पाते थे, लेकिन सिविल सर्विसेज में 2011 से प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में बदलाव का जो क्रम शुरू हुआ वह अब तक जारी है।
शुरुआती परीक्षा में एक वैकल्पिक विषय की जगह सीसैट लागू हो गया है। इसी तरह से मुख्य परीक्षा में अब एक ही वैकल्पिक विषय रह गया है। दूसरे वैकल्पिक विषय की जगह सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्रों की संख्या बढ़ा दी गई है। इतना ही नहीं लोअर सबऑर्डिनेट और समीक्षा अधिकारी भर्ती परीक्षाओं में तो वैकल्पिक विषयों की व्यवस्था ही खत्म कर दी गई है। ऐसे में अब हर परीक्षा के लिए अलग-अलग तैयारी करनी होती है।
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