काबुल डेस्क/ अफगानिस्तान में तीन साल के लंबे अंतराल के बाद शनिवार को संसदीय चुनाव हो रहे हैं। हालांकि, इन चुनावों पर आतंकवादी साया मंडरा रहा है। इसी सप्ताह तालिबान के हमले में अफगानिस्तान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की मौत और कई अधिकारियों के घायल होने से चुनाव की फिजा बिगड़ गई है।
एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कड़ी सुरक्षा और मतदान में गड़बड़ी की आशंकाओं के बीच सुबह सात बजे मतदान शुरू हो गया। नाटो द्वारा 2014 में आतंकवाद रोधी अभियान खत्म करने के बाद यहां पहली बार मतदान हो रहे हैं। मतदान शाम चार बजे तक होंगे।
राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, “मतदान का आयोजन संविधान, जनता और लोकतंत्र की जीत है।” तालिबान द्वारा लोगों को मतदान ना करने की सार्वजनिक धमकी देने के बीच उन्होंने लोगों से मतदान करने का आग्रह किया।
निचले सदन के 250 सदस्यों को चुनने के लिए शनिवार को लगभग 88 लाख अफगान मतदाता मतदान करेंगे। इनमें 34 फीसदी महिलाएं हैं। इस दौरान 2,564 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जिनमें 16 फीसदी उम्मीदवार महिलाएं हैं।
अफगानिस्तान में पिछले पांच महीनों में आतंकवादी हमलों में कई मतदान कर्मियों, मतदाताओं और कम से कम 10 मतदाताओं की हत्या हो चुकी है। तालिबान ने शुक्रवार को बयान जारी कर मतदान का बहिष्कार करने के लिए कहा था। तालिबान ने कहा था कि उसके लड़ाके सभी प्रमुख और छोटे मार्गो को अवरुद्ध कर देंगे। अफगान सरकार ने मतदान के दौरान मतदाताओं और मतदान केंद्रों की सुरक्षा के लिए 54,000 सैनिकों को तैनात किया है।