काबुल डेस्क/ तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में अपनी अंतरिम सरकार के गठन का एलान करते हुए अफ़ग़ानिस्तान को ‘इस्लामिक अमीरात’ घोषित किया है। मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद प्रधानमंत्री होंगे तो मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर उप प्रधानमंत्री | वहीं मुल्ला अब्दुल सलाम हनफ़ी को भी उप प्रधानमंत्री बनाया गया है।
लेकिन इन सबके बीच जिस एक शख़्स की सबसे अधिक चर्चा है वो हैं हक्क़ानी समूह के प्रमुख सिराजुद्दीन हक्क़ानी। इन्हें अखुंद की सरकार में गृह मंत्री बनाया गया है। ये वही हक्क़ानी हैं जिनके समूह ने बीते 20 सालों में कई घातक हमलों को अंजाम दिया है। सिराजुद्दीन हक्क़ानी नेटवर्क के नाम से कुख्यात चरमपंथी समूह के प्रमुख हैं और इनका संबंध तालिबान के साथ रहा है।
2017 में इनके समूह ने एक ट्रक बम हमला किया था जिसमें 150 से अधिक लोग मारे गए थे। इस समूह के अल-क़ायदा से भी क़रीबी संबंध हैं | हक्क़ानी नेटवर्क को अमेरिका ने आतंकवादी संगठनों में शामिल कर रखा है। एफ़बीआई के पास हक्क़ानी की जो प्रोफ़ाइल है उसके अनुसार वो वहां वांटेड हैं। उन्हें जनवरी 2008 में काबुल के एक होटल पर हुए हमले के सिलसिले में पूछताछ के लिए इस कैटेगरी में रखा गया है। उस हमले में एक अमेरिकी नागरिक समेत छह लोग मारे गए थे।
उनकी प्रोफ़ाइल में बताया गया है कि- ऐसा माना जाता है कि हक्क़ानी नेटवर्क ने अमेरिका की अगुवाई वाली नेटो की सेना पर सीमा पार से हुए हमलों को अंजाम दिया है। यह भी माना जाता है कि हक्क़ानी समूह ने ही कथित तौर पर 2008 में (पूर्व) अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद करज़ई पर हुए आत्मघाती हमले को अंजाम दिया था। इसके साथ ही हक्क़ानी समूह को 2 सितंबर 2011 को काबुल में अमेरिकी दूतावास के पास के नेटो ठिकानों पर हुए हमले का दोषी भी ठहराया गया है। तब उस हमले में चार पुलिस अधिकारियों समेत आठ लोगों की मौत हुई थी।