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अखिलेश का सपा सफाई अभियान पूरा…पर समाजवाद की पीठ में छुरा किसने मारा!!!

मोदी के नक़्शे क़दम पर अखिलेश यादव का सपा सफाई अभियान पूरा…पर समाजवाद की पीठ में छुरा किसने मारा!!!

TIL Desk/ #Lucknow: यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ठीक मोदी की तर्ज पर लालकृष्ण आडवाणी की तरह अपने पिता मुलायम सिंह यादव को मार्गदर्शक और संरक्षक बना समाजवादी पार्टी के सर्वेसर्वा बने | मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव की इस प्रक्रिया को असंवैधानिक बताया लेकिन अखिलेश यादव ताबड़तोड़ बदलाव पार्टी में करते नज़र आ रहे है | मुलायम ने अखिलेश यादव से खिन्न होकर 5 जनवरी 2017 को एक राष्ट्रीय अधिवेशन बुला लिया है | लेकिन मुलायम की इन बातों को अखिलेश और उनके जन समर्थक सिरे से नकार रहे है | वो वर्तमान और भावी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपना समाजवाद चुके है | मुख्यमंत्री अखिलेश ने अपनी पावर का चाबुक चलाकर चाचा शिवपाल को कुर्सी से उठा फेंका और नरेश उत्तम पटेल को समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बना दिया | एक तीर से कई शिकार करते हुए आपातकालीन अधिवेशन में अंकल अमर सिंह के खिलाफ बर्खास्ती का प्रस्ताव पारित करवा दिया | अखिलेश के तेवर और समाजवादी पार्टी में सत्ता की हनक पाने की बेक़रारी को देखते हुए “अलाउद्दीन खिलज़ी” का इतिहास सामने आ जाता है |
मुलायम-अखिलेश के मिलन के बाद समाजवादी पार्टी में जिस तरह से त्वरित नेतृत्व बदलाव हुआ इससे ये नहीं समझ में आ रहा है कि आखिर सच क्या है | क्या नेता जी ने ये सारी स्क्रिप्ट खुद ही लिखी है | या फिर मुलायम अखिलेश से सहमत नहीं थे, क्या अखिलेश ने पिता का मान नहीं रखा, क्या अखिलेश ने साइलेंट वार किया और पार्टी को हाईजैक कर राष्ट्रीय अध्यक्ष बन बैठे | इन सारी गतिविधियों को देखते हुए मुलायम का राजनीतिक इतिहास याद आता है| उन्होंने चौधरी चरण सिंह और विश्वनाथ प्रताप सिंह के साथ वैसा ही किया था जैसा परिदृश्य आज उनके सामने है | समाजवाद के रचियता को उनके ही पुत्र के हाथों उन्हें ये दिन देखना पड़ रहा है | मुलायम के परिवादवाद के चक्कर में समाजवाद बीच बाज़ार में ठगा महसूस कर रहा है | अखिलेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पार्टी कार्यकर्ताओं की नई खेप में ऊर्जा तो है पर समाजवाद में सब्र की कमी दिखती है | हमेशा से एक बात सच साबित हुई है अधिक आत्मविश्वास वाले ने कुल्हाड़ी अपने ही पैरों पर मारी है |

एक सवाल यह भी उठता है क्या मुलायम सिंह पुत्र प्रेम में इतना मजबूर थे कि उन्होंने बंद कमरे में बेटे अखिलेश को सत्ता और समाजवाद की गद्दी पाने का मन्त्र स्वयं दे डाला | अगर ऐसा है तो बेटे के हाँथों राजनीतिक वनवास और एकांतवास का रास्ता स्वयं चुनने वाले मुलायम ने बंद कमरे में समाजवाद की पीठ में छुरा घोंप दिया है | मुलायम ने पुत्र प्रेम में अपने ऊपर कान के कच्चे होने का भी इल्ज़ाम सर आँखों पर ले लिया | क्या भविष्य में ऐसे कान के कच्चे नेता को कोई अपना मार्गदर्शक या प्रेरक मान पायेगा | इतना होने के बाद भी समाजवाद का असली सच सामने आना बाकी है क्योकि चुनाव अभी बाक़ी है मेरे दोस्त |

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