यूपी डेस्क/ नगर निगम प्रशासन ने शहर में बीफ के कच्चे मांस की बिक्री करने वाले 150 दुकानदारों के लाइसेंस के रिनिवल के आवेदन निरस्त कर दिए हैं। प्रशासन ने इन सभी को 31 मार्च के बाद बीफ के कच्चे मांस की बिक्री नहीं करने के निर्देश दिए हैं। यह कार्रवाई शहर में स्लॉटर हाउस न होने की वजह से की गई है। पलूशन कंट्रोल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कैंटोनमेंट बोर्ड और नगर निगम के मोतीझील स्थित स्लॉटर हाउस को पिछले साल बंद करवा दिया था। नगर निगम ने मोतीझील स्लॉटर हाउस पर पशुओं के काटने के लिए लाइसेंस जारी किए थे।
वहीं 150 लोगों को बीफ के मांस की बिक्री के लाइसेंस दिए गए थे। स्लॉटर हाउस बंद होने पर नगर निगम ने पशुओं के वध लाइसेंस तो निरस्त कर दिए थे, लेकिन बिक्री के लाइसेंस चल रहे थे, जिन्हें रिन्यु नहीं किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। दूसरी ओर नगर निगम ने मोतीझील स्थित स्लॉटर हाउस को आधुनिक करने और बिंदौआ में पीपीपी मोड पर नया स्लॉटर हाउस शुरू करने की कवायद तेज कर दी है। सूत्रों के अनुसार जिन दुकानदारों के पास बिक्री का लाइसेंस है, उनकी कुल बिक्री क्षमता 20 से 25 हजार किलो से ज्यादा की नहीं है जबकि बीफ की शहर में खपत औसतन 60 हजार किलो है।
इतने ज्यादा अंतर से स्पष्ट है कि शहर की दुकानों में मांस की आपूर्ति पशुओं की अवैध कटान से हो रही थी। सूत्रों के मुताबिक अकेले बिल्लौचपुरा में 25 से ज्यादा अवैध छोटे-छोटे बूचड़खाने हैं, जिनपर कार्रवाई की जानी है |