इलाहाबाद डेस्क/ उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को बताया कि परिवार के केवल मुखिया का ही नहीं, बल्कि सभी परिजनों के आधार नंबर उनके राशन कार्डों से जोड़े जाएंगे जिससे पूरे प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हो सके|
राज्य सरकार ने मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले और न्यायमूर्ति एम.के. गुप्ता की खंडपीठ के समक्ष 17 जुलाई को जारी सर्कुलर की एक प्रति पेश की| यह खंडपीठ शामली जिले में कांधला की नगरपालिका परिषद के सात सदस्यों द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी|
याचिकाकर्ताओं ने अदालत में दलील दी थी कि इस राज्य में आधार युक्त पीडीएस पिछले साल शुरू किया गया था जिसमें परिवार के मुखिया के अंगूठे के निशान की स्कैनिंग के बाद राशन का वितरण किया जाना था| कई मामलों में परिवार का मुखिया इतना वयोवृद्ध होता है कि वह राशन की दुकान तक आने में असमर्थ होता है और यह व्यवस्था एक परिवार को इस लाभ से वंचित कर देती है जो खाद्य सुरक्षा कानून का उल्लंघन है|
राज्य सरकार ने 11 जुलाई को इस मामले में उचित कार्रवाई के लिए समय मांगा था और प्रधान सचिव (नगर आपूर्ति) द्वारा सभी जिलाधिकारियों को जारी इस सर्कुलर की प्रति अदालत के समक्ष रखी| इस कदम पर संतुष्टि जताते हुए अदालत ने इस याचिका का निपटान कर दिया|