यूपी डेस्क/ विधानभवन में संदिग्ध पाउडर मिलने के मामले में सरकार के अफसरों का बड़ा कन्फ्यूजन सामने आया है। पाउडर मिलने के बाद से मंगलवार तक अफसरों में समन्वय नहीं दिखा इसके चलते सरकार की किरकिरी हो रही। सूत्रों के मुताबिक जब 12 जुलाई को विस्फोटक मिला तो लखनऊ पुलिस और विधानसभा सुरक्षा में लगे अफसरों ने एटीएस को नहीं बताया। 13 जुलाई को एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद 14 को एटीएस को खबर की गई। अफसरों ने जल्दबाजी में प्राथमिक रिपोर्ट को अंतिम मानते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ को ब्रीफ कर दिया।
पुलिस और गृह विभाग के अफसर ये तो दावा कर रहे हैं कि सैंपल जांच के लिए आगरा नहीं भेजा गया। लेकिन यह भी नहीं बता रहे हैं कि सैंपल अभी तक किसी और लैब में क्यों नहीं भेजा गया। अफसर नहीं बता पा रहे हैं कि रिपोर्ट आने में कितना समय लगेगा। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने गुरुवार तक रिपोर्ट आने का दावा किया है। वहीं आईजी एटीएस असीम अरुण का कहना है कि वह दो दिन में तय करेंगे कि सैंपल जांच के लिए कहां भेजना है।
मामले की जांच करने वाले एफएसएल के डायरेक्टर डॉ. श्याम बिहारी उपाध्याय बिहार पुलिस के हाथों धोखाधड़ी के मुकदमे में चार्जशीटेड हैं। आय से अधिक संपत्ति और तमाम अनियमितता के आरोपित हैं। यूपी सरकार ने भी उनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति दे दी है। इसके बावजूद उन्हें फरेंसिक विभाग की कमान और कई सौ करोड़ का बजट सौंपा गया है।