लखनऊ डेस्क/ आधार कार्ड के फर्जीवाड़े में 10 गिरफ्तारियों की पड़ताल में कई अहम खुलासे हुए हैं। खास बात यह है कि देशभर में 3 लाख से ज्यादा आधार कार्ड इसी तरह के फर्जीवाड़े से तैयार किए गए। एनरोलमेंट कंपनियों ने कमिशन के लिए देश की सुरक्षा से सौदा कर डाला। STF की पड़ताल में सामने आया है कि एमपी की एक एनरोलमेंट कंपनी के लखनऊ में तैनात अधिकारी ने ही STF द्वारा पकड़े गए जालसाजों को सिस्टम हैक करने वाली सॉफ्टवेयर ऐप्लिकेशन सौंपी। इस ऐप्लिकेश को अन्य ऑपरेटर्स को 5-5 हजार रुपये में बेचा जा रहा है। STF इस अधिकारी की तलाश में इसके लखनऊ और एमपी स्थित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
STF के मुताबिक जून से पहले कंपनी के लोगों ने ज्यादा से ज्यादा आधार बनाकर कमिशन के लिए अवैध लोगों को आधार बनाने वाली मशीनें और सिस्टम में घुसने के लिए सॉफ्टवेयर दे दिया। जून से पहले ये लोग टैम्पर्ड क्लाइंट ऐप्लिकेशन के जरिए अवैध तरीके से आधार बना रहे थे। UIDAI को जब इस फर्जीवाड़े का पता चला तो उन्होंने नया सॉफ्टवेयर तैयार किया। लेकिन आधार बनाने का काम संभालने वाली भोपाल स्थित कंपनी के लखनऊ में तैनात अधिकारी ने इस सॉफ्टवेयर का भी तोड़ तैयार करके अवैध ऑपरेटर्स को दे दिया। STF द्वारा गिरफ्तार किया गया शिवम भी इसी कंपनी में कार्यरत है।
UIDAI के उपनिदेशक रूपेश शर्मा द्वारा साइबर क्राइम थाने में दर्ज कराई गई FIR में 22 आधार कार्ड का जिक्र किया है जिन्हें सिस्टम को बायपास करके बनवाया गया। इनमें हरदोई की निर्मला सिंह सेवा समिति के रोहित शुक्ला की आईडी से 14, कानपुर की SGS इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अमित कुमार, आजमगढ़ की श्री इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस के गुड्डू गौड़ की आईडी से 2-2, फिरोजाबाद की कार्वी डाटा मैनेजमेंट सर्विसेज के कुलदीप सिंह, मैनपुरी के सीएससी एसपीवी के कुलदीप वर्मा और ममता शाक्य की आईडी से एक-एक आधार कार्ड बनवाया गया। असल में इनकी संख्या कहीं ज्यादा है।