TIL Desk/ #SamparkHindi- मैं आज भी अपने शैशव के दिनों को याद करता हूँ तो अपने को अटक-अटक कर, रुक-रुक कर बोलते हुए पाता हूँ तथा मेरी हकलाहट को समझते हुए मुझसे सहानुभूति रखने वाले लोगों के कई स्मृति चित्र उभरते है । आज मैं सोंचता हूँ क्या जीवन में चमत्कार भी घटित होते है ? क्या प्रार्थनाएँ पूरी होती हैं ? क्या सच्चे मन से किये गए प्रयास कभी चौकाने वाले परिणाम नहीं लाते है ?
हाँ यह मेरे जीवन की एक सुखद एवं आश्चर्यजनक घटना रही किस कालांतर में मेरी हकलाहट चली गई और पूरी तरह से चली गयी । उसकी जगह सामान्यता आई, फिर बातूनीपन और फिर आत्मप्रशंसा भाव से कहूँ तो वाग्मिता ।
मैं कई बार सोंचता हूँ कि हर मनुष्य के जीवन में कुछ विषमताएं होती है- कभी ईश्वर प्रदत्त, कभी परिस्थिति-जन्य । पर सफलता उन्ही को मिलती है जो दृण इच्छाशक्ति एवं कठिन परिश्रम से अपने लक्ष्य की ओर अथक बढ़ते रहते हैं । लेखिका मनोरमा श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत ” आईने में उतरा एक आकाश (डॉ. शम्भुनाथ- एक प्रेरक जीवनी) ” की इस जीवन यात्रा में ऐसे कई प्रेरक प्रसंग मिलेंगे जो कदाचित पाठकों के लिए अविस्मर्णीय होंगे।
” आईने में उतरा एक आकाश (डॉ. शम्भुनाथ- एक प्रेरक जीवनी) ” उत्तर प्रदेश के सेवानिवृत्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के जीवन से ली गयी प्रेरणामयी स्रोत है ।
डॉ शम्भुनाथ मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे । डॉ शम्भुनाथ स्वयं में एक शिक्षा, ज्ञान, साहित्य और सकारात्मकता का सरोवर है जिसे देखने और सुनने मात्र से शिथिल शरीर में ऊर्जा पुंज बन जाता है । उनके जीवन का अनुभव ऐसा है जिसे पढ़कर युवा पीढ़ी के जीवन की हताशा, मन और आत्मा की दुर्बलता को नई प्रेरणा मिलेगी और उसकी सोई हुई इन्द्रियाँ जागृत हो जाएँगी और जिससे वह प्रगति पथ पर निरंतर बढ़ता रहेगा ।
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पुस्तक- ” आईने में उतरा एक आकाश (डॉ. शम्भुनाथ- एक प्रेरक जीवनी) ”
लेखिका- मनोरमा श्रीवास्तव
जन्म- 1-1-1952, बलिया, उत्तर प्रदेश।
प्रकाशन- अमन प्रकाशन, रामबाग, कानपुर ।
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