इलाहाबाद डेस्क/ प्रधानमंत्री कार्यालय और कानून मंत्री पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना इलाहाबाद हाई कोर्ट से लखनऊ बेंच ने लगाया है। कोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका मामले में आदेश देने के बावजूद जवाबी हलफनामा न आने से कोर्ट नाराज थी। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस अब्दुल मोइन की खंडपीठ ने सुनील कांदू की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया। याचिकाकर्ता का आरोप है कि केंद्र सरकार को कैग हर साल 5,000 रिपोर्ट्स देती है। जिसमें से मात्र दस रिपोर्ट्स को ही केंद्र सरकार संज्ञान में लेती है। बाकी की 4990 रिपोर्ट्स पर कोई कार्रवाई नहीं होती। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में याचिका करके कैग के सुधार की मांग की। साथ ही याचिका में प्रदेश के महालेखाकार द्वारा पिछले दस वर्षों में लगाए गए ऑडिट ऑब्जेक्शन पर कोई कार्रवाई न होने का मुद्दा भी उठाया गया है।
हाई कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई करते हुई कोर्ट ने 1 अगस्त 2017 को आदेश दिया था कि प्रतिवादी अपना जवाबी हलफनामा दें। इसके लिए पीएमओ और कानून मंत्री को 1 महीने का समय दिया गया था। एक महीने का समय पिछले साल अगस्त महीने में खत्म हो गया लेकिन पीएमओ और कानून मंत्री की तरफ से कोई जवाब नहीं आया।
हाई कोर्ट के सामने यह मामला फिर आया। पीएमओ और कानून मंत्री की तरफ से जवाब दाखिल करने के लिए असिस्टेंट सलिसिटर जनरल एसबी पाण्डेय ने हाई कोर्ट से और समय मांगा। इस पर खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें एक और समय जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए जुर्माने सहित समय दिया जा रहा है। हाई कोर्ट ने पीएमओ और कानून मंत्री की ओर से हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने में सुस्ती दिखाए जाने पर 5000 रुपये जुर्माना लगाया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 3 हफ्ते के बाद की तारीख लगाई है।