नई दिल्ली डेस्क/ भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के ऊंचे दाम को लेकर आज तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के समक्ष चिंता जतायी और कच्चे तेल की ऐसी जिम्मेदार बाजार व्यवस्था अपनाने का आग्रह किया जो उत्पादक और उपभोक्ता दोनों के हित में हो।
यहां जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ओपेक देशों के राजदूतों के साथ बैठक में उन्हें तेल बाजार को लेकर भारत की चिंता से अवगत कराया। वैश्विक बाजार में कच्चा तेल 2014 के बाद इस समय उच्चतम स्तर पर है।
भारत को अपनी कुल जरूरत का 80 प्रतिशत तेल आयात करना पड़ताहै। भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाले शीर्ष देशों में आठ ओपेक के सदस्य हैं। देश में 31 मार्च 2018 को समाप्त वित्त वर्ष में करीब 83 प्रतिशत तेल ओपेक देशों से आया। इसके अलावा एलपीजी आयात में 98 प्रतिशत तथा एलएनजी आयात में 74 प्रतिशत हिस्सेदारी तेल निर्यातक देशों के संगठन की है।
बयान के अनुसार , ‘‘ बैठक के दौरान प्रधान ने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और इसका दुनिया भर में खासकर भारत में उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को लेकर चिंता जतायी। ओपेक द्वारा उत्पादन में कटौती से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत पिछले महीने चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी। इसके कारण पेट्रोल के दाम में जहां 3.8 रुपये लीटर जबकि डीजल में 3.38 रुपये लीटर की बढ़ोतरी हुई।
प्रधान ने कहा कि यह तेजी बुनियाद बातों से मेल नहीं खाती। उन्होंने ओपेक से जिम्मेदार कीमत व्यवस्था की ओर बढ़ने को कहा जो उत्पादक तथा उपभोक्ता दोनों के हितों का ध्यान रखे। उन्होंने एशियाई प्रीमियम जैसे उपायों के जरिये भेदभाव वाले मूल्य के मुद्दे को उठाया और उनसे तेल एवं गैसे दोनों के लिये पारदर्शी और लचीले बाजार व्यवस्था का आग्रह किया। पेट्रोलियम मंत्री का अगले सप्ताह 20-21 जून को सातवें ओपेक अंतरराष्ट्रय सेमिनार में भाग लेने के लिये वियना जाने का कार्यक्रम है।