नई दिल्ली डेस्क/ अमृतसर रेल हादसे पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने एक बयान में कहा कि रेलवे पटरियों के निकट हो रहे दशहरा कार्यक्रम के बारे में विभाग को सूचित नहीं किया गया था । इस दुर्घटना में कम से कम 61 लोगों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि यह हादसा दो स्टेशनों- अमृतसर एवं मनावाला के बीच हुआ, न कि रेलवे फाटक पर। लोहानी ने रेलवे कर्मचारियों द्वारा भीड़ जमा होने की जानकारी नहीं देने के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा, “बीच के रास्ते पर ट्रेनें अपनी निर्धारित गति से चलती हैं और यह उम्मीद नहीं होती कि लोग पटरियों पर मौजूद होंगे। बीच के खंड पर रेल कर्मचारी तैनात नहीं होते हैं । रेलवे फाटक पर कर्मी होते हैं जिनका काम यातायात नियंत्रित करना है।’’
उन्होंने कहा कि गेटमैन रेलवे फाटक से 400 मीटर की दूरी पर था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर ड्राइवर ने आपात ब्रेक लगाए होते तो इससे भी बड़ा हादसा हो सकता था। लोहानी ने बताया कि ट्रेन अपनी निर्धारित गति से चलती है और शुरुआती रिपोर्ट से मालूम होता है कि चालक ने ब्रेक लगाए जिससे ट्रेन धीमी हो गई थी।उन्होंने कहा, “हमारे पास न तो इसकी कोई सूचना थी और न ही हमसे अनुमति ली गई थी । यह कार्यक्रम रेलवे की जमीन के बगल में, एक निजी स्थान पर आयोजित किया गया था ।” रेलवे को दोषी ठहराने से इनकार करते हुए लोहानी ने कहा कि राष्ट्रीय परिवाहक लोगों से अतिक्रमण नहीं करने की नसीहत देते हुए लंबे अरसे से अभियान चला रहा है।
आधी रात को मौके पर पहुंचे लोहानी ने कहा, “हम इस अभियान को और आगे ले जाएंगे।” गौरतलब है कि अमृतसर में जोड़ा फाटक के निकट शुक्रवार शाम को रावण दहन देखने के लिए रेल की पटरियों पर खड़े लोग एक ट्रेन की चपेट में आ गए जिससे कम से कम 61 लोगों की मौत हो गई और 72 अन्य घायल हो गए। वहीँ इस घटना पर केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि इस दुर्घटना के लिए उनका मंत्रालय जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा कि जोड़ा फाटक के पास दशहरा कार्यक्रम के लिए प्रशासन और कार्यक्रम आयोजकों ने रेलवे को सूचित नहीं किया गया था। शुक्रवार आधीरात घटनास्थल पहुंचे सिन्हा ने संवाददाताओं को बताया, “वास्तव में कमिश्नर (अमृतसर) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उन्होंने इस स्थान पर दशहरा कार्यक्रम के लिए मंजूरी नहीं दी थी।” सिन्हा ने कहा कि यह आरोप-प्रत्यारोप लगाने का समय नहीं है।