नई दिल्ली डेस्क/ घाटी में शुक्रवार की प्रार्थना के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों की मीडिया रिपोर्टों को खारिज करने के तीन दिन बाद, मंगलवार को सरकार ने स्वीकार किया कि श्रीनगर के सौरा में एक ‘घटना’ हुई थी, जिसमें उपद्रवियों ने स्थानीय लोगों के साथ बदसलूकी की और सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी की। केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट कर कहा, “श्रीनगर के सौरा क्षेत्र में एक घटना 09/08 को हुई एक घटना के बारे में मीडिया में खबरें चली हैं, जिसमें एक स्थानीय मस्जिद में नमाज के बाद घर लौट रहे लोगों के साथ बदमाशों ने बदसलूकी की और व्यापक अशांति पैदा करने के लिए उन्होंने कानून प्रवर्तन बलों के खिलाफ पथराव किया।”
इस पोस्ट में जम्मू और कश्मीर पुलिस और सूचना और जनसंपर्क विभागों को टैग कर कहा गया, “कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने संयम दिखाया और कानून और व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने की कोशिश की। यह बात दोहराई जा रही है कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद से जम्मू और कश्मीर में एक गोली नहीं चलाई गई है।” केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 10 अगस्त को रायटर की रिपोर्ट को ‘पूरी तरह से मनगढं़त और गलत’ करार दिया था, जिसमें दावा किया गया था कि प्रतिबंधों में ढील दिए जाने पर शुक्रवार को श्रीनगर में 10,000 लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।
मंत्रालय ने कहा कि समाचार रिपोर्ट “मूल रूप से रॉयटर्स में प्रकाशित हुई और जो ‘डॉन’ में छपी थी, जिसमें दावा किया गया था कि श्रीनगर में 10,000 लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।” ट्वीट में कहा गया, “यह पूरी तरह से मनगढ़ंत और गलत है। श्रीनगर/बारामूला में कुछ छिटपुट विरोध प्रदर्शन हुए हैं, और इसमें 20 से ज्यादा लोग शामिल नहीं थे।”
शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मस्जिदों में नमाज की इजाजत देने और लोगों को सोमवार के जश्न के लिए इंतजाम करने में मदद के लिए निषेधात्मक आदेशों में ढील दी थी। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने के सरकार के कदम को देखते हुए 4 अगस्त से वहां प्रतिबंध लागू है।