TIL Desk Vastu/ 18 साल बाद, 18 माह के लिए घर बदलेंगे #राहु–#केतु, इन राशियों पर रहेगा असर | 18 साल बाद, 18 अगस्त को, 18 माह के लिए छाया ग्रह राहु व केतु अपना घर बदल रहे हैं। राहू व केतु के घर बदलने से लोगों के जीवन पर अच्छे व बुरे प्रभाव पड़ेंगे। डेढ़ साल तक लोगों को इनके असर का सामना करना होगा। राहु देख सकता है, लेकिन कुछ कर नहीं सकता है तो केतू देख नहीं सकता हैं। इसलिए इनका प्रभा,व होने पर मनुष्य की बुद्धि भ्रमित हो जाती हैं। कुंडली में इन ग्रहों के अच्छा होने पर राज्यपद की प्राप्ति, आर्थिक लाभ, प्रतिष्ठा में वृद्धि जैसे फल मिलते है तो खराब होने पर दुर्घटना, बीमारी, संघर्ष, कलह आदि का सामना करना पड़ता हैं।
राहु-केतू ने अमृतपान किया है। इसलिए इन ग्रहों को मोक्षकारी ग्रह भी कहा जाता हैं। इन्हीं ग्रहों के कारण कुंडली में कालसर्प योग बनता है। राहू के देवता सरस्वती है तो केतु के भगवान गणेश। यह ग्रह वक्री चलते हैं। 18 अगस्त को राहू कर्क में तो केतु मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
पौराणिक कथा है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को पान करने के लिए स्वर्भानु नामक दैत्य ने देव बन कर अमृत पान कर लिया था। सूर्य व चन्द्रमा ने उसे पहचान लिया। भगवान विष्णु ने चक्र से दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया था। दैत्य का सिर राहु, धड़ केतू हैं।
विभिन्न राशियों पर राहु का प्रभाव
मेष: मातृ कष्ट, बाधा, असंतोष
वृष: लाभ,कर्ण दोष, भाई से कष्ट
मिथुन: हीन मनोवृत्ति , वाणी दोष, क्लेश
कर्क: कामुकता, स्वार्थ सिद्धी, संघर्ष
सिंह: पाप आचरण,धन नाश,मानसिक दुर्बलता
कन्या: लाभ,उदर विकार, सुस्ती
तुला: व्यस्तता, कैरियर में सावधानी,
वृश्चिक: तंत्र मंत्र की ओर झुकाव,भाग्य वृद्धि,ख्याति
धनु: पिता का ध्यान रखें, अवैध कार्य न करे
मकर: वैवाहिक जीवन में परेशानी, व्यवसाय में हानि
कुंभ: साहस प्राप्ति, शत्रु पराजित
मीन: लाभ, सृजनात्मक काम,संतान कष्ट
विभिन्न राशियों पर केतु का प्रभाव
मेष: राजकीय परेशानी,पिता को कष्ट
वृष: विदेश यात्रा, अनैतिक कार्य
मिथुन: उत्तेजना, कानूनी विवाद, अस्वस्थता
कर्क: मतभेद, विवाद, उतार चढ़ाव
सिंह: विजय, सफलता,रोग नाश
कन्या: लाभ, विवाद, संतान कष्ट
तुला: विवाद, माता को कष्ट,अस्वस्थता
वृश्चिक: लक्ष्य जटिल, बाई बहिन को कष्ट
धनु: एकांतवास , कूटनीतिक व्यवहार
मकर: कमजोरी, चिंता,अनिद्रा
कुंभ: तनाव, गुप्त कार्य पर धन खर्च, थकावट
मीन: लाभ, सफलता, प्रतिष्ठा, नैतिक पतन आदि परेशानी हो सकती है
राहु कर्क राशि में गोचर, केतु का मकर में – गोचर की तारीखें
राहु-केतु ग्रहों को छाया ग्रह के नाम से जाना जाता है। इन दोनों ग्रहों का अपना कोर्इ अस्तित्व नहीं होता, एेसे में ये जिस ग्रह के साथ बैठते है उसी के अनुसार प्रभाव दिखाते है। 30 जनवरी, 2016, को राहु आैर केतु ने क्रमशः सिंह आैर कुंभ राशि में प्रवेश किया। आैर अब ये 18 अगस्त, 2017 को कर्क-मकर राशि में प्रवेश करेगा आैर इनमें 7 मार्च, 2019 तक रहेगा।
राहु-केतु गोचर 2017 – महत्वपूर्ण घटनाएं
शनि, राहु आैर केतु किसी एक राशि में अपने पारगमन को पूरा करने के लिए सबसे लंबा समय लेते है। एेसे में ये दोनों दूषित ग्रह हमारे जीवन के रूझानों पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव ड़ालते है। ये दोनों ही ग्रह हमारे कर्मों का प्रतिनिधित्व करते है आैर हमारे कर्मों के अनुसार फल देते है, राहु हमारे भविष्य का प्रतीक है आैर केतु हमारे अतीत को दर्शाता है।
अनिश्चित, आकस्मिक या अप्रत्याशित – ये कुछ मार्ग है जिसमें राहु आैर केतु दोनों कार्य करते है। जब ये दोनों ग्रह परिचालन करते है, तब बदलाव जगह बनाएगा वो भी तब जब आप कम से कम अपेक्षा करते है। अवसर आएंगे, जब आपके लिए उसके लिए कम से कम तैयार है। ये सभी हालात हमें आगे बढ़ने में आैर हमारी प्रवृत्ति के आधार पर एवं त्वरित कार्य करने में सक्षम बनाते है।
राहु आैर केतु – परिवर्तन की लहर या फिर कष्टदायी स्थिति ?
राहु आैर केतु ज्यादातर क्रूर ग्रह माने जाते है, जो हमारे जीवन में कहर भरने आैर हमारी समस्याअों को बढ़ाने के लिए मौजूद रहते है। लेकिन, हमें ये समझना चाहिए कि ये दोनों ही ग्रह चयनित ग्रह है, जिन्हें जातकों को अपने कर्मों आैर रवैये के अनुसार परिणाम देने की भूमिका सौंपी गर्इ है। वे कोर्इ भी काम बिना किसी कारण या तर्क के नहीं करते।
अगर ये दोनों ही ग्रह आपकी परेशानियों अौर मुश्किलों को बढ़ा रहे है, तो इसका मतलब ये कि आप अपने पिछले जन्म में कुछ पाप या गलत कार्य किए हो सकते है। एेसा कहा जाता है कि ‘बदलाव निरंतर है’ लेकिन ये कौन सुनिश्चित करता है कि बदलाव जगह बनाता है ? ये कौन सुनिश्चित करता है कि हम नर्इ आैर बेहतर चीजों का अनुभव करने में सक्षम है ? ये कौन सुनिश्चित करता है कि हम पुराने आैर नीरसता से छुटकारा पाएं ? इस बारे में सोचें, जी हां ये सब राहु -केतु करवाते है। जब राहु हमें नर्इ आैर आधुनिक चीजों की आेर ले जाता है, तब केतु दूसरी आेर ये सुनिश्चित करता है कि वहां एक अच्छा संतुलन है आैर उन चीजों को खत्म करता है जो अब हमारे जीवन में आवश्यक नहीं है।
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(हम किसी को भी उपाय करने के लिए बाध्य नहीं करते अपने विवेक और समझदारी के साथ उपाय करें)