नई दिल्ली डेस्क/ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से ईमानदार और पारदर्शी व्यापारिक व्यवस्था का निर्माण हो रहा है तथा उद्योग जगत के लोगों के सुझाव से इसमें लगातार सुधार भी किया जा रहा है। संसद के बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपने अभिभाषण में कोविंद ने कहा कि दिक्कतों के बावजूद देशवासियों ने देश के बेहतर भविष्य के लिए इस नयी कर प्रणाली को अपनाया है।
कोविंद ने कहा, ‘‘जीएसटी से देश में एक ईमानदार और पारदर्शी व्यापारिक व्यवस्था का निर्माण हो रहा है जिसका काफी बड़ा लाभ देश के युवाओं को मिल रहा है। इस व्यवस्था से व्यापारियों के लिए पूरे देश में कहीं पर भी व्यापार करना आसान हुआ है और उनकी कठिनाइयां कम हुई हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं देशवासियों को बधाई देता हूं कि शुरुआती दिक्कतों के बावजूद, देश के बेहतर भविष्य के लिए उन्होंने बहुत कम समय में एक नई प्रणाली को अपनाया।’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मेरी सरकार ने व्यापार जगत से मिल रहे सुझावों को ध्यान में रखकर जीएसटी में सुधार की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखा है। ’’
उन्होंने कहा कि ‘बेनामी संपत्ति कानून’, धनशोधन रोधक कानून (प्रिवेन्शन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट) और आर्थिक अपराध करके भागने वालों के खिलाफ बने कानून के तहत 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई हो रही है। कोविंद ने कहा, ‘‘वर्ष 2014 से पहले जहां 3.8 करोड़ लोगों ने रिटर्न दाखिल किया था, वहीं अब यह आंकड़ा 6.8 करोड़ से अधिक का हो गया है। आज करदाता को यह विश्वास है कि उसका एक-एक पैसा राष्ट्र-निर्माण में ईमानदारी के साथ खर्च किया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) का विस्तार करने से पिछले साढ़े चार वर्ष में 6 लाख 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि लाभार्थियों तक पहुंची है। इस वजह से अब लगभग 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बच रहे हैं।’’ कोविंद ने कहा, ‘‘ सरकार ने लगभग 8 करोड़ ऐसे नामों को भी लाभार्थियों की सूची से हटाया है, जो वास्तव में थे ही नहीं और बहुत से बिचौलिये फर्जी नाम से जनता के धन को लूट रहे थे।
राष्ट्रपति ने कहा, दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के नए कानून की वजह से अब तक बैंकों और देनदारों के 3 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष निपटारा हुआ है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सरकार ने कोयला खदानों की नीलामी पारदर्शी व्यवस्था से की है और राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा की है।’’