लखनऊ डेस्क/ पराली जलाने की वजह से बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीमकोर्ट की सख्ती के बाद अब योगी सरकार भी सख्त हो गई है। उप्र के मुख्य सचिव ने 10 जिलों के जिलाधिकारियों को नोटिस जारी कर उनसे 20 नवंबर तक स्पष्टीकरण मांगा है। जिलाधिकारियों से इन घटनाओं के लिए जवाबदेह अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी मांगी है। मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने पराली जलाने से पैदा होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण से संबंधित सुप्रीमकोर्ट के आदेशों व इस संबंध में शासन स्तर से कार्यवाही के लिए जारी शासनादेशों का हवाला देते हुए जिलाधिकारियों को कड़ा पत्र लिखा है।
मुख्य सचिव ने मथुरा, पीलीभीत, शाहजहांपुर, रामपुर, अलीगढ़, झांसी, लखमीपुर खीरी, महराजगंज, बरेली व जालौन में पराली जलाए जाने की घटनाओं का ब्योरा दिया है। साथ ही जिलाधिकारियों से उनका स्पष्टीकरण मांगने के साथ पूछा है कि उन्होंने इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है? संबंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन क्यों नहीं किया गया?
अफसरों को आगाह किया है कि कि वे केवल छोटे कर्मचारियों का उत्तरदायित्व तय कर खानापूर्ति न करें। यदि इन निर्देशों के बावजूद पराली व अन्य अवशेष जलाने की कोई घटना सामने आती है तो इसे गंभीरता से लिया जाए और संबंधित क्षेत्र के राजस्व व पुलिस विभाग के साथ अन्य उत्तरदायी अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए।