मुंबई डेस्क/ बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मालेगांव 2006 विस्फोट मामले में चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तारी के लगभग सात साल बाद शुक्रवार को जमानत दे दी। 2013 में गिरफ्तारी के बाद से लोकेश शर्मा, मनोहर नावरिया, राजेंद्र चौधरी और धन सिंह जेल में हैं। न्यायमूर्ति आई. ए. महंती और न्यायमूर्ति ए. एम. बदर की खंडपीठ ने उन्हें 50,000 रुपये के भुगतान के बाद जमानत दे दी।
उन्हें मुकदमे के दौरान प्रतिदिन उपस्थित होने का निर्देश भी दिया गया है। इसके अलावा न्यायालय ने कहा कि इस दौरान न तो वह गवाहों को प्रभावित करेंगे और न ही सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश करेंगे। चार आरोपियों की जमानत याचिका को विशेष अदालत द्वारा खारिज किए जाने के बाद उन्होंने 2016 में उच्च न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन किया था।
हमीदिया मस्जिद के पास 8 सितंबर 2006 को शुक्रवार अपरान्ह एक बजे के आसपास नमाज के दौरान, साइकिलों पर लगाए गए बमों के विस्फोट में 37 लोगों की मौत हो गई थी और 150 से अधिक लोग धमाकों में घायल हो गए थे।
स्थानीय पुलिस और महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते ने शुरुआती जांच के बाद नौ लोगों को गिरफ्तार किया। मामले की जांच बाद में सीबीआई और उसके बाद में एनआईए को सौंप दी गई।
अप्रैल 2016 में एक विशेष अदालत ने मामले में गिरफ्तार सभी नौ मुस्लिम युवकों को अपर्याप्त सबूत के आधार पर बरी कर दिया। दो साल बाद 29 सितंबर 2008 को शहर को एक और धमाके से हिला दिया गया था, जिसके लिए हिंदू कट्टरपंथी समूहों पर आरोप लगा, जिसको लेकर मुकदमा अभी चल रहा है।