नई दिल्ली डेस्क/ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मुखिया मायावती ने दिल्ली में हुई हिंसा की तुलना 1984 के सिख दंगों से की है। उन्होंने राष्ट्रपति को शुक्रवार को पत्र लिखकर पीड़ितों की सहायता के साथ उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है। मायावती ने कहा है कि इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में होनी चाहिए। मायावती ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा है कि दिल्ली में हुई हिंसा 1984 के दंगों की तरह है। इसमें जान-माल की भारी क्षति हुई है। हिंसक घटनाओं ने देश ही नहीं, दुनिया का ध्यान खींचा है।
मायावती ने कहा, “केंद्र में सत्ताधारी भाजपा की जिम्मेदारी है कि वह कोई ऐसा काम न करे, जिससे देश की प्रतिष्ठा पर आंच आए। मगर देश ने देखा कि भाजपा की सरकार अपने संवैधानिक दायित्व को निभाने में बुरी तरह विफल रही है, जिस कारण अब तक तीन दर्जन जानें चलीं गईं और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए। महंगाई और बेरोजगारी के दौर में लोगों का कारोबार नष्ट हो गया।”
उन्होंने कहा, “दिल्ली हिंसा के पीछे पुलिस व प्रशासन की कोताही, लापरवाही और विफलता जगजाहिर है, लेकिन इंसाफ का तकाजा है कि दिल्ली के दामन पर सिख दंगों की तरह लगे बदनुमा धब्बे को थोड़ा धोने के लिए इन घटनाओं की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच हो। यह जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए, ताकि जांच के कुछ सही मायने निकल सकें और लोगों को हमेशा की तरह खानापूर्ति न लगे।”
मायावती ने राष्ट्रपति से दिल्ली हिंसा में जान गंवाने और घायल होने वाले लोगों के परिवारों की मदद के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश देने की भी मांग की है, ताकि हिंसा प्रभावित परिवार दर-दर भटकने को मजबूर न हों।