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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एलजी के पास कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एलजी के पास कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं

नई दिल्ली डेस्क/ दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की, अधिकारों की रस्साकशी के मामले में आज आप सरकार को उच्चतम न्यायालय में बहुत ही महत्वपूर्ण सफलता मिली। न्यायालय की संविधान पीठ ने व्यवस्था दी कि उपराज्यपाल को फैसले लेने का कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं है और वह निर्वाचित सरकार की सलाह से काम करने के लिए बाध्य हैं। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति के निर्णय में कहा, ‘निरंकुशता और अराजकता के लिये कोई जगह नहीं है।

पीठ ने कहा कि उपराज्यपाल, जिसकी नियुक्ति केन्द्र करता है, ‘विघ्नकारक ’ के रूप में काम नहीं कर सकते | संविधान पीठ ने तीन अलग अलग लेकिन सहमति से दिए फैसले में कहा कि उपराज्यपाल के पास स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ए के सिकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल थे। इस व्यवस्था ने केजरीवाल को सही ठहरा दिया। पीठ ने उपराज्यपाल के लिये पहली बार स्पष्ट दिशानिर्देश प्रतिपादित किये और दिल्ली, जो पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिलने के बावजूद अपने विधायकों को चुनती है और सरकार बनाती है, में कार्यपालिका की दो शाखाओं के अधिकारों को निरूपित किया है।

गौरतलब है कि केजरीवाल लंबे समय से बैजल पर आरोप लगा रहे थे कि वह केन्द्र के इशारे पर उन्हें ठीक से काम नहीं करने दे रहे हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि के अलावा दिल्ली सरकार को अन्य विषयों पर कानून बनाने और शासन करने का अधिकार है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शीर्ष अदालत की व्यवस्था के बाद सेवायें दिल्ली सरकार के अधीन आ जायेंगी और राजनीतिक नेतृत्व का नौकरशाहों के तबादले और तैनाती में दखल होगा। उपराज्यपाल बैजल ने शीर्ष अदालत की इस व्यवस्था पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की। न्यायालय का यह फैसला आते ही आम आदमी पार्टी के समर्थक और कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। वे सड़कों पर निकल आये और उन्होंने मिठाई बांटी। केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा , ‘‘ यह दिल्ली की जनता के लिये बहुत बड़ी विजय है।’

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