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4500 अरब डॉलर के बुनियादी ढांचा निवेश के लिए पूंजीगत लागत एक चुनौती: गोयल

4500 अरब डॉलर के बुनियादी ढांचा निवेश के लिए पूंजीगत लागत एक चुनौती: गोयल

मुंबई डेस्क/ वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अगले 10 वर्षों में विशाल 4500 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी और इस पर ब्याज आदि के खर्च (वित्तपोषण की लागत) का बंदोबस्त करना एक चुनौती होगी। हालांकि , मंत्री ने यह भी कहा कि इस काम में धन की बाधा नहीं होगी। गोयल यहां एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) के दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन में इस नयी बहुपक्षीय वित्तीय संस्था के संचालक मंडल के सदस्यों की एक समिति को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा , ” आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए अगले 10 वर्ष में 4500 अरब डॉलर की जरूरत है। ” हमें जितनी पूंजी की आवश्यकता है वह मिल जाएगी और आधारभूत संचरना के निर्माण के लिए पूंजी जुटाना कोई ” बाधा नहीं होगी। ” अमेरिका समेत दुनिया भर के देशों के ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के रुझानों के बीच गोयल ने ऐसी बात कही है। रिजर्व बैंक ने भी नीतिगत ब्याज दर बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि वित्तपोषण की लागत एक ” महत्वपूर्ण चुनौती ” है। इसके साथ ही बड़ी बुनियादी परियोजनाओं को संभालना भी एक बड़ा काम है।

गोयल ने कहा कि बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को संभालने के लिए क्षमता निर्माण भी एक चुनौती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि एआईआईबी जैसे बहुपक्षीय संस्थान इन दोनों चुनौतियों से निपटने में मदद करेंगे। वहीं , सिंगापुर के बैंक डीबीएस के मुख्य कार्यकारी पीयूष गुप्ता ने कहा कि बैंकों के लिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए धन का इंतजाम करना आसान नहीं है। बैंक परंपरागत रूप से इस क्षेत्र को कर्ज देते रहे हैं पर उनकी सीमाएं हैं। ऐसे में संसाधन जुटाने के लिए बांड बाजार में जाया जा सकता है।

गुप्ता ने साथ में यह भी कहा कि नयी परियोजनाओं के मामले में बांड बाजार की भी अपनी चुनौतियां हैं वे शुरू में ऐसी नयी परियोजनाओं से कुछ दूरी बना कर रखता है। इस पर , वित्त मंत्री ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में धन जुटाने का उदाहरण दिया , जहां सरकार को जापानी एजेंसी जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) और बड़े निजी इक्विडी फंडों से निवेश मिला।

गोयल ने अतीत में स्थिर नीति व्यवस्था की जरूरत पर बल देते हुए कहा था कि देश को इस मोर्चे पर बीते समय में चुनौतियों का सामना करना पड़ चुका है। उन्होंने चेताया यदि अनुबंध पर हस्ताक्षर के बाद परियोजना के विकास में कानूनी अड़चनें आती हैं तो निजी पूंजी देश से ” बाहर चला जाएगी ” । उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार के प्रयासों और निर्णायक कदमों से वातावरण अच्छा हुआ है।

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