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आतिशी या कोई और? आप पार्टी के मुखिया केजरीवाल करेंगे विपक्ष की भूमिका का फैसला

नई दिल्ली
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जहां मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर फैसला लेना है तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल को भी एक अहम निर्णय लेना है। सरकार गठन के बाद दिल्ली में पहले विधानसभा सत्र की शुरुआत से पहले अरविंद केजरीवाल को विपक्ष के चेहरे की तलाश करनी होगी।

लगातार तीन बार दिल्ली में सरकार बना चुकी 'आप' पहली बार विपक्ष में बैठने जा रही है। ऐसे में पार्टी को नेता विपक्ष के लिए चेहरा तय करना होगा। विधानसभा चुनाव में 22 सीटों पर सिमट गई पार्टी के अधिकतर बड़े चेहरे चुनाव हार गए हैं। खुद अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से चुनाव हार गए तो मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, सौरभ भारद्वाज, राखी बिड़लान के लिए भी विधानसभा के दरवाजे बंद हो गए हैं।

ऐसे में अरविंद केजरीवाल को अब 22 विधायकों में से किसी एक ऐसे चेहरे की तलाश करनी होगी जो ना सिर्फ नेता विपक्ष के तौर पर ना सिर्फ जनता बल्कि पार्टी के हितों को भी साध सके। राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह जिम्मेदारी आतिशी मार्लेना को मिल सकती है, जिनपर अरविंद केजरीवाल ने हाल के दिनों में सबसे अधिक भरोसा जताया है। पहले जहां मंत्री बनाकर उन्हें डेढ़ दर्जन विभागों की जिम्मेदारी दी गई तो बाद में मुख्यमंत्री भी बनाया। आतिशी ने भाजपा के पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को कालकाजी सीट से हराया है। आतिशी ना सिर्फ अरविंद केजरीवाल की भरोसेमंद हैं, बल्कि वाकपटु भी हैं, जो नेता विपक्ष के लिए सबसे अहम योग्यता है।
रेस में कुछ और भी नाम

आतिशी के अलावा कुछ अन्य नाम भी रेस में बताए जा रहे हैं। पूर्व मंत्री और आप के संस्थापक सदस्य गोपाल राय भी प्रमुख दावेदार हैं। बाबरपुर से तीसरी बार जीते गोपाल राय दिल्ली प्रदेश के संयोजक भी हैं। उत्तर प्रदेश के मऊ में पैदा हुए गोपाल राय के जरिए पार्टी पूर्वांचली कार्ड भी खेल सकती है। पूर्वांचली दावेदारों में संजीव झा का भी नाम शामिल है। वहीं, कोंडली से विधायक और युवा दलित चेहरे कुलदीप कुमार (मोनू) भी केजरीवाल की पसंद हो सकते हैं। एमसीडी में एक सफाई कर्मचारी के बेटे कुलदीप के जरिए दलितों को साधा जा सकता है।

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