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बलरामपुर चिकित्सालय लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में दूसरे दिन भी काला फीता आन्दोलन किया गया

बलरामपुर चिकित्सालय लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में दूसरे दिन भी काला फीता आन्दोलन किया गया

TIL Desk Lucknow/ चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ उत्तर प्रदेश के आवाह्न पर दूसरे दिन भी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बलरामपुर चिकित्सालय लखनऊ में सहित पूरे प्रदेश में काला फीता आन्दोलन किया गया जिसमें प्रान्तीय चिकित्सा संघ, राजकीय नर्सेज संघ, राजपत्रित डिप्लोमा फार्मेसी एसोसिएशन, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन,लैब टेक्नीशियन एशोसिएशन, चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश,सहायक प्रयोगशाला संघ , एक्स-रे टेक्नीशियन एशोसिएशन , डार्क रूम असिस्टेंट एशोसिएशन, टी० वी० कन्ट्रोल इम्प्लॉइज एशोसिएशन,ई सी जी टेक्नीशियन, इलेक्ट्रिशियन कम जनरेटर आपरेटर संघ,टी वी मेल हेल्थ विजिटर्स संघ, मिनिस्ट्रीयल एशोसिएशन स्वास्थ्य भवन, इत्यादि के सम्सत अधिकारियों,कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों ने भाग लिया सभी ने शासन द्वारा जारी स्थानांतरण नीति 2023 की निन्दा करते हुए कहा कि 24 घंटे बीत जाने के बाद भी न शासन ,न प्रशासन और न ही चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से कोई वार्ता का प्रस्ताव आया, जिससे यह प्रतीत होता है की शासन खुद चाह रहा है की आधिकारी/कर्मचारी पूर्ण रुप से हड़ताल पर जाए।

चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ उत्तर प्रदेश के महासचिव ने बताया की आज के आंदोलन में लखनऊ जिले के श्यामा प्रसाद मुर्खजी चिकित्सालय, राज नारायण लोकबन्धु चिकित्सालय, ठाकुरगंज टी बी चिकित्सालय, महानगर सिविल चिकित्सालय, वीरांगना बाई महिला चिकित्सालय, झलकारी बाई चिकित्सालय एंव रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय सहित अधीन मुख्य चिकित्सा आधिकारी के समस्त चिकित्सालयों में सभी संवर्गो के अधिकारियों/कर्मचारियों ने बडी संख्या में काला फीता बाँध कर कार्यक्रम में भाग लिया।

महासचिव ने बताया की प्रदेश के चिकित्सा क्षेत्र के अन्य संगठनो ने भी महासंघ के आंदोलन को नैतिक सर्मथन देते हुए आदोलन में सहयोग की लिखित सहमति दी है,जिसमें मुख्य रुप से राममनोहर लोहिया नर्सेस संघ है। महासचिव ने कहा की महासंघ अब भी जनहित में सरकार से वार्ता हेतु तैयार है परन्तु महानिदेशक के अडियल रवैया सरकार की छवि धुमिल कर रही हैं। क्योंकि महानिदेशक महोदया द्वारा प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य की बैठक स्थगित कराया जाना इसका प्रमाण है। महासंघ की मांगों पर विचार नहीं किये जाने से जिससे सभी अधिकारियों/कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है।

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