नयी दिल्ली डेस्क/ केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में एक कैवियट दाखिल करके कहा है कि दिल्ली के केंद्रशासित प्रदेश के दर्जा मामले पर जब शीर्ष अदालत फैसला करे तो वह उसका भी पक्ष सुने। आप सरकार ने इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय के हालिया फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है।
दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देगी जिसमें कहा गया था कि संविधान के तहत दिल्ली अब भी केंद्रशासित प्रदेश है और उपराज्यपाल इसके प्रशासनिक प्रमुख हैं। गृह मंत्रालय ने यह कहते हुए शीर्ष अदालत में कैवियट दायर किया कि शीर्ष अदालत को इस मुद्दे पर उसका पक्ष भी सुनना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह आप सरकार के उस दीवानी मुकदमे पर सुनवाई करेगी जिसमें यह घोषणा करने की मांग की गई है कि दिल्ली एक राज्य है और उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उसकी याचिका पर भी सुनवाई होगी जिसमें कहा गया था कि दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश है और उपराज्यपाल इसके प्रशासनिक प्रमुख हैं।
चार अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि दिल्ली से संबंधित संविधान का अनुच्छेद 239 एए अनुच्छेद 239 के प्रभाव को हल्का नहीं करता है, जो केंद्रशासित प्रदेश से संबंधित है और इसलिए प्रशासनिक मामलों में उपराज्यपाल की सहमति अनिवार्य है।