लखनऊ डेस्क/ यूपी चुनाव के बाद जब बीजेपी सत्ता में आई तो उसका सबसे बड़ा फैसला कर्ज माफी रहा। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि इतना बजट कहां से आएगा। फिलहाल किसानों को का इंतजार अब खत्म हो गया है। 8 से 11 सितंबर तक हर जिले में शिविर लगाकर प्रभारी मंत्री और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में किसानों को कर्जमाफी के प्रमाणपत्र बांटे जाएंगे। प्रथम चरण के इस अभियान के दौरान करीब 12 लाख किसानों के सात हजार 370 करोड़ रुपए के कर्जे माफ होंगे।
सीएम योगी ने कर्ज माफी के सर्टिफिकेट बांटने की प्रतीकात्मक शुरुआत कर दी थी। योगी ने 17 अगस्त को लखनऊ और इलाहाबाद में 6 सितंबर को प्रमाणपत्र बांटे थे। अभी कुछ और जिलों में उनके कार्यक्रम होने हैं, जहां वे प्रमाण पत्र देंगे। पहले कर्जमाफी का प्रमाणपत्र बांटने के ये शिविर पांच और आठ सितंबर को लगने थे, पर पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के नाते इसे टाल दिया गया। साथ ही इसका समय दो की बजाय चार दिन कर दिया गया। ऐसा जिलों के प्रभारी मंत्रियों की सहूलियत के लिए किया गया।
दरअसल कई ऐसे मंत्री हैं जिनके पास दो जिलों को प्रभार हैं। साथ ही जिस जिले में वह रहते हैं वहां के शिविर में भी उनकी उपस्थिति जरूरी थी। कर्ज माफी भाजपा के लोककल्याण संकल्प-2017 का सबसे बड़ा वायदा था और नई सरकार के लिए चुनौती भी, ऐसे में जिला स्तर पर आयोजित शिविरों को भव्य बनाकर वह किसानों को उनके हितैषी होने का संदेश भी देना चाहती है। इसीलिए शिविरों का आयोजन चार दिन करने का फैसला लिया गया।
योगी सरकार के फैसले के मुताबिक, लघु और सीमांत किसानों के 1 लाख रुपए तक के फसली ऋण माफ किए जाएंगे। इससे प्रदेश के 2.15 करोड़ किसानों के 30729 करोड़ रुपए के कर्ज माफ होंगे। इससे राज्य में सूखा, बाढ़ आदि के चलते नुकसान उठाने वाले किसानों को फायदा होगा। कुछ अन्य किसानों के 5630 करोड़ रुपए के कर्ज माफ करने का फैसला लिया गया, जिनके लोन एनपीए हो चुके हैं, और इनकी रिकवरी की संभावना नहीं है।