TIL Desk/ Lucknow– उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी को मतदान शुरू होने से पहले नसीम जैदी ने दो दिवसीय लखनऊ दौरा किया | पत्रकारों के साथ वार्ता करते हुये मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज़ैदी ने पहले चुनाव के मुख्य बिंदुओं को मीडिया से साझा किया | सबसे खास बात यह रही कि जैदी ने मीडिया को अपना सबसे अच्छा दोस्त कहा और उनका धन्यवाद किया | प्रेस वार्ता की कुछ हाईलाइट मेरे साथ-
१. मतदान के समय जातिगत दंगे न हो उसके लिए सोशल मीडिया (व्हाट्सएप्प, यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर आदि) पर अफवाह फ़ैलाने वालों के खिलाफ पुलिस सक्रिय रहेगी |
२. 900 से अधिक आयकर अधिकारी तैनात है जो गुप्त रूप से अवैध धन इस्तेमाल करने वाली पार्टी और प्रत्याशी पर नज़र रखे हुये है |
३. अधिक से अधिक असलहों को ज़ब्त करा लिया गया है और कई चिन्हित है |
४. ऐसे प्रत्याशियों के ऊपर कड़ी नज़र है जिनके रिश्तेदार प्रशासनिक स्तर पर उनके क्षेत्र में तैनाती पर है और उन्हें गैर कानूनी तरह से मदद कर जीत सकते है |
५. शराब की तस्करी करने वालों पर भी बड़े स्तर पर निगरानी है और धड़-पकड़ तेज़ है, जिससे की मदाताओं को बरगलाया न जा सके |
६. लगभग चौदह करोड़ दस लाख मतदाता उत्तर प्रदेश में दर्ज हो चुके है और बहुतों तक चुनाव आयोग के कर्मचारी संपर्क में है |
७. आकस्मिक चिकित्सकीय सहायता हेतु कई पोलिंग बूथ पर एयर एम्बुलेंस की व्यवस्था है और मेडिकल व्यवस्था भी है |
८. चुनाव आयोग साम्प्रदायिक सौहार्द की व्यास्था बनाये रखने के लिए तत्पर है और नीतियाँ बना रहा है |
९. इस बार हवाला के ज़रिये चुनाव में इस्तेमाल होने वाले पैसों पर नज़र बनाये रखने के लिए इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट को भी चुनाव आयोग ने अपने साथ और अधिक सक्रिय किया है |
१०. उत्तर प्रदेश के बाहुबली प्रत्याशियों पर भी चुनाव आयोग ने कड़ी नज़र रखी है और क्षेत्रीय पुलिस से भी चुनाव आयोग ने अपनी नीतियों साझा की है |
ये तो वो बातें है जो मुख्य निर्वाचन आयुक्त की तरफ से कही गई पर पत्रकारों ने अपने सवालों के बदले मुख्य निर्वाचन आयुक्त से जो जवाब पाया उससे वो पूरी तरह संतुष नहीं थे | बहुत से प्रत्याशी ऐसे है जिन्होंने जीतने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का तबादला अपने क्षेत्र में करवाया है | जिन पर चुनाव आयोग द्वारा कार्यवाही लंबित है | कैराना के मतदाताओं के सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम पर कोई ख़ास बात नहीं बता सके मुख्य निर्वाचन आयुक्त | निष्पक्ष चुनाव के मसले पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी को पद से हटाने के मामले पर भी ज़ैदी पत्रकारों को सकारात्मक जवाब नहीं दे पाये | जिसके कारण प्रेस वार्ता में शोर शुरू हो गया और कई पत्रकार चुनाव आयोग को निष्क्रिय आयोग कहने से भी पीछे नहीं हटे | मेरे साथ-साथ कई पत्रकार चुनाव आयोग की धीमी चाल और धीमी कार्यवाही की कार्यप्रणाली प्रथा से नाखुश थे | वही कई पत्रकार वाहन चेकिंग के दौरान मीडिया को निशाना बनाने वाले पुलिस और प्रशासन से नाराज़ थे | मीडिया ने चुनाव आयोग से आचार संहिता के समय विशेष मीडिया वाहन पास की मांग रखी और ज़ैदी ने भविष्य में इस सुझाव पर अमल करने का ढाडस बंधाया |
चुनावी समर में आचार संहिता का उल्लंघन करने वाली पार्टियों और प्रत्याशियों पर चुनाव आयोग कठोर कार्यवाही नहीं करता है | जिसकी वजह से उल्लंघन करने की प्रथा चलती चली आ रही है | यदि चुनाव आयोग भविष्य में कठोर कार्यवाही करता है तो ज़ारूर अपनी साख पर बट्टा लगाने से बच सकता है | ये पब्लिक का त्यौहार है सर…ये पब्लिक है पब्लिक सब जानती है…
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