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कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी सांसदों को विदेश भेजने के फैसले पर मोदी सरकार की तारीफ करते हुए एक सराहनीय कदम बताया

नई दिल्ली

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से शशि थरूर लगातार मोदी सरकार के पक्ष में बात कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी द्वारा इशारों में समझाने के बाद भी थरूर ने अपनी बात को सार्वजनिक रूप से रखना जारी रखा। अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने भी मोदी सरकार के फैसले की तारीफ की है। शर्मा ने वैश्विक स्तर पर आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की पोल खोलने और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत की राय रखने के लिए सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को विदेश भेजने के फैसले को महत्वपूर्ण पहल बताया है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने इसे एक भटकाने वाली योजना के रूप में रेखांकित किया था।

कांग्रेस पार्टी द्वारा दिए गए चार नामों में से केवल आनंद शर्मा को ही केंद्र सरकार ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया है। आने वाले दिनों में शर्मा अपनी टीम के साथ मिस्र, कतर और इथियोपिया की यात्रा करेंगे।

 बात करते हुए शर्मा ने कहा, "हमारा क्षेत्र दशकों से सीमा पार आतंकवाद से पीड़ित है। ऐसे में इसे लेकर वैश्विक जनमत को संवेदनशील बनाना महत्वपूर्ण है। पाकिस्तानी सेना और आईएसआई द्वारा पोषित आतंकवादी संगठनों ने भारत का बहुत खून बहाया है। हमने इस आतंकवाद की एक बड़ी कीमत चुकाई है। लेकिन इसके बाद भी हमने अपनी प्रतिक्रियाओं में संयम बरता.. आतंकवाद को लेकर बहुत कम देश ऐसे होते हैं, जो संयमित हो सकते हैं .. लेकिन भारत ने ऐसा किया। पहलगाम के बाद हमने जवाबी कार्रवाई की लेकिन यह एक मापी हुई कार्रवाई थी, जिसे हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया था।"

आपको बता दें शशि थरूर के बाद अब आनंद शर्मा ने भी ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद की कार्रवाई पर सरकार के प्रति नरम रुख अपनाया है, जबकि कांग्रेस पार्टी इस मामले को लेकर केंद्र पर हमलावर बनी हुई है। बुधवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सर्वदलीय सांसदों को विदेश भेजने के फैसले को केंद्र सरकार द्वारा सवालों से बचने और ध्यान भटकाने का तरीका बताया।

जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि 1950 के बाद हर अक्टूबर-नवंबर में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र का दौरा करता था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में इस परंपरा को खत्म कर दिया। अब जबकि वैश्विक स्तर पर वह हताश हैं और उनकी छवि को धक्का लग चुका है तब वह दोबारा से सर्वदलीय सांसदों को विदेशों में भेजने का फैसला ले रहे हैं।

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