TIL Desk लखनऊ: केंद्र सरकार का बजट सिर्फ हवा हवाई और किताबी, बजट में बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों की घोर उपेक्षा , शायद बीजेपी 2024 में चुनाव में जो सीटों में घट गई हैं इसकी वजह से वह युवाओं और आम आदमी से अपनी कुंठा बजट में निकल रही, इस बजट में जनता की किसी भी वर्ग को राहत नहीं ।
आज के बजट से भी देशवासियों को निराशा हाथ लगी है, मोदी सरकार ने पिछले 10 साल की तरह आज का बजट भी हवा हवाई और ख्याली पेश किया है,जिसमें बेरोजगारी और महंगाई पर कोई ध्यान सरकार ने नहीं रखा इससे यह भी पता चलता है कि भाजपा मोदी सरकार के लिए जो उनके कुछ चुनिंदा उद्योगपति दोस्त ही महत्त्वपूर्ण हैं,जिन पर महंगाई का कोई फर्क नहीं पड़ता वह सिर्फ उन्हीं के लिए काम करने को गंभीर है, देश के आम आदमी, किसानों युवाओं के लिए मोदी सरकार को कोई चिंता नहीं |
यह बजट भी खोखला साबित हुआ जिसमें की गई घोषणाएं बाद में गायब हो जायेगी,बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है,भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर 9.2% है लेकिन सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र में कोई ध्यान नही दिया, कृषि , निर्माण और इकोनॉमी के क्षेत्र में भी ध्यान नहीं दिया, केन्द्र सरकार के सरकारी विभागों 23 लाख से ज्यादा नौकरियां खाली पड़ी है लेकिन लोगों को पेपर लीक के अलावा कुछ नहीं मिल रहा, न तो इस बार के बजट में उनको भरने को लेकर कोई ठोस प्रबंध और आश्वासन सरकार ने किए हैं ।
महंगाई देश की सबसे बड़ी चुनौती है सरकार द्वारा स्वयं जो उसके आंकड़े पेश किए गए हैं उसमें महंगाई मुद्रा स्थिति 3.4% के उच्चतम पर है, खाद्य सामग्रियों के भाव बढ़ते जा रहे हैं लेकिन सरकार की तरफ से इस बजट में लोगों की आय बढ़ाने के कोई इंतजाम नहीं है, हकीकत यह है कि आज के बजट से देश के 95 % लोगों को निराशा हाथ लगी है जिन पर महंगाई की मार दिन पर दिन बढ़ती जा रही है |
बीजेपी मोदी सरकार ने देश के आधारभूत सुविधाओं , शिक्षा, स्वास्थ्य को लेकर भी कोई ठोस प्रयास नहीं किए हैं जिसकी वजह से हालत यह है कि अस्पतालों में भीड़ है लेकिन सरकार की तरफ से स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने को लेकर कोई इंतजाम इस बजट में नहीं, आज भी 70% से ज्यादा लोग निजी अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवा लेने को मजबूर है क्योंकि सरकार की तरफ से पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं, डॉक्टरों, नर्सों, तकनीकी स्टाफ की घोर कमी है |
देश के आम आदमी के ऊपर जो टैक्स का बोझ है वह उद्योगपतियों से कहीं ज्यादा है, वह 30 पर्सेंट टैक्स देता है और उसके बाद 28% जीएसटी क्या यह इंसाफ है ? इस बजट में उम्मीद थी कि आम आदमी की जो आय हैं उसका टैक्स फ्री स्लैब बढ़ाया जाएगा लेकिन फिर से वही रख सरकार ने दिखा दिया कि उनकी प्राथमिकता में सिर्फ कुछ बड़े उद्योगपति हैं ।
देश के नींव को मजबूत करने वाले मजदूर वर्ग को सशक्त करने का कोई प्रबन्ध नही उनका कोई ख्याल नही रखा गया है,कांग्रेस पार्टी ने अपने न्यायपत्र में ₹400 का वादा किया था लेकिन गरीब विरोधी भाजपा ने फिर मज़दूरों को धोखा दिया |
आम आदमी की आमदनी बढ़ाने का कोई प्रबंध नहीं घरेलू कर्ज बढ़ते चले जा रहे, एम.एस.पी. पर कानूनी गारंटी की बात थी वह भी उसका भी बजट में कोई बात नही, शिक्षा ऋण का बोझ और अग्निपथ जैसी योजनाएं इस देश के युवाओं को चुनौतियां दे रही हैं लेकिन सरकार उन पर ध्यान देने को तैयार नहीं, आज के बजट से बड़ी उम्मीद थी लेकिन भाजपा ने फिर से देश की युवाओं किसानों आम आदमी, दलितों, पिछड़ों को धोखा दिया है , आम आदमी आज के बजट से निराश हैं युवाओं का आक्रोश और बढ़ा है ।
बाईट:: अंशू अवस्थी (प्रवक्ता, कांग्रेस)