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आयुर्वेद के माध्यम से मधुमेह का निदान और प्रबंधन संभव

आयुर्वेद के माध्यम से मधुमेह का निदान और प्रबंधन संभव

TIL Desk Lucknow/ मधुमेह एक लाइफस्टायल बीमारी है और लंबे समय तक अनियंत्रित रहने पर कई अन्य घातक बीमारियों को जन्म देता है। लेकिन आयुर्वेद के माध्यम से मधुमेह का उपचार, प्रबंधन और नियंत्रण पूर्णतया संभव है। लखनऊ के ‘द मेपल लीफ’ होटल में वैद्य सम्भाषा और सम्मान कार्यक्रम के अंतर्गत चल रहे ‘निरोगस्ट्रीट वैद्य संपर्क अभियान’ में आयुर्वेद चिकित्सकों के बीच मधुमेह पर परिचर्चा हुई जिसमें इससे संबंधित विविध पहलू उभर कर सामने आए।

उल्लेखनीय है कि देश के आयुर्वेद चिकित्सकों के सबसे बड़े मंच ‘निरोगस्ट्रीट’ द्वारा वैद्य संपर्क अभियान का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में अबतक गाजियाबाद, नोयडा, हाथरस, आगरा, दिल्ली, कानपुर और लखनऊ में कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। लखनऊ में इस कड़ी का यह आठवां कार्यक्रम था। इस अभियान को भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का भी समर्थन प्राप्त है जिसका उद्घाटन आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री वैद्य राजेश कोटेचा ने किया था।

निरोगस्ट्रीट के संस्थापक और सीईओ राम एन कुमार ने वैद्य संपर्क अभियान की जानकारी देते हुए कहा कि निरोगस्ट्रीट की तेज़ी से बढ़ती लोकप्रियता इस बात की पुष्टि करती है कि आयुर्वेद इंडस्ट्री में उत्पन्न सभी खामियों और चुनौतियों को जल्द -से- जल्द दूर करना वर्तमान समय की प्राथमिकता बन गई है। भारत एवं दुनिया भर की वैद्य कम्युनिटी को सशक्त, एकजुट एवं सम्मानित कर हम आयुर्वेद को विश्वस्तरीय चिकित्सा प्रणाली की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं । इस दिशा में निरोगस्ट्रीट वैद्य संपर्क अभियान मील का पत्थर साबित होगा।

लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में आर जी एस कॉलेज के प्राचार्य डॉ ध्रुव मिश्रा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि आयुर्वेद में डायबिटीज के अलग तरह से वर्णित किया गया है जिसे प्रमेह के नाम से जाना जाता है और इसके कुल 20 अलग-अलग तरह के प्रकार होते हैं।

कार्यक्रम के वक्ता डॉ अभिषेक गुप्ता ने परिचर्चा में अपनी बात रखते हुए बताया कि आयुर्वेद में 20 तरह की प्रमेह का किस तरह से उपचार किया जा सकता है! उसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि 20 में से 10 तरह की प्रमेह/डायबिटीज को आसानी से रिवर्स किया जा सकता है इसे आयुर्वेद में कफज प्रमेह कहते हैं। यदि रोगी सही समय और उचित डॉक्टर परामर्श के साथ अपना आयुर्वेद में उपचार लेना आरंभ कर दे तो वह इससे सही हो सकता है।

डॉ सुरेश कुमार, डॉ पार्थ, डॉ अरविंद सक्सेना, डॉ सुनील वर्मा, डॉ शंभू पटेल आदि ने भी इस विषय पर अपने विचार रखे। शहर के राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ महेश गुप्ता जी ने कहा कि कैसे पहले के समय में लोग खाना न मिलने की वजह से कुपोषण का शिकार होते थे जबकि अब लोग ज्यादा खाना खाने के कारण लाइफस्टाइल संबंधित रोग जैसे डायबिटीज, मोटापा आदि से पीड़ित होते जा रहे हैं। डी.एन.एस. आयुर्वेद के संस्थापक डॉ. नदीम ने इस रोग में खान -पान और दिनचर्या में सुधार करने के महत्त्व के विषय में बताया।

डॉ. शादाब सिद्दीकी ने स्वर्ण से संबंधित आयुर्वेद की दवाइयों का इस रोग में लाभ के संबंध में जानकारी दी। इसके अतरिक्त इस रोग से जुड़े पौराणिक इतिहास पर भी चर्चा हुई जिसमें गणेश जी से संबंधित स्तुति का भी जिक्र हुआ, कि कैसे इस रोग का संबंध गणेश जी से भी मिलता है, “गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थ जंबू फल चारु भक्षणम उमा शतम् शोक विनाश कारकम नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम” इस चौपाई में बताए गए कपित्थ जंबू फल चारु का हिंदी में अर्थ है कि कैथा फल, जामुन फल और चारु(दूब) घास का इस रोग में कितना महत्त्व है।

मधुमेह के आयुर्वेदिक समाधान पर हुई परिचर्चा में 150 से ज्यादा आयुर्वेद चिकित्सकों ने भाग लिया जहां सभी डॉक्टर्स ने इस विषय पर चिंता जताई कि भारत में डायबिटीज रोग तेज़ी से बढ़ता जा रहा है जिसके कारण हमारा देश डायबिटीज कैपिटल बनने की ओर अग्रसर है। शहर के सभी डॉक्टर्स ने संकल्प लिया कि इस विषय पर हम सभी मिलकर जन जागरण अभियान चलाने के साथ-साथ आयुर्वेद के माध्यम से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करेंगे। इस मौके पर प्रशस्ति पत्र देकर वैद्यों को सम्मानित भी किया गया।

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