लखनऊ डेस्क/ भोजपुरी को पहचान दिलाने वाली, लोकगीतों से सामाजिक जीवन को मानव पटल पर उतारने वाली लोक गायिका मैनावती देवी का गुरुवार को निधन हो गया ।वह पिछले 23 दिनों से बीमार चल रही थीं। उनका जन्म बिहार के सिवान जिले की पचरूखी में 1 मई 1940 को हुआ था । पर उन्होनें अपना कर्म भूमि गोरखपुर को बनाया। उन्होनें लोकगायन की शुरूआत गोरखपुर से सन् 1974 में आकाशवाणी गोरखपुरकी शुरूआत के साथ की। आकाशवाणी गोरखपुर की शुरूआत मैनावती देवी श्रीवास्तव के गीतों से ही हुई।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने मैनावती देवी श्रीवास्तव के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी की उनकी सेवा सदैव अविस्मरणीय रहेगी। विश्व हिंदू महासंघ (महिला प्रकोष्ठ) के माध्यम से महिलाओं के सशक्तीकरण व हिंदू धर्म के प्रति चेतना जाग्रत करने में महत्वपूर्ण योगदान किया है। उनके निधन से अपूर्णनीय क्षति हुई है।
श्रीमती नैना देवी के प्रकाशित पुस्तको में 1977 में गांव के दो गीत(भोजपुरी गीत), श्री सरस्वती चालीसा, श्री श्री चित्रगुप्त चालीसा, पपिहा सेवाती(भोजपुरी गीत), पुरखनके थाती(भोजपुरी पारंपरिक गीत), तथा अप्रकाशित पुस्तकों में कचरस(भोजपुरी गीत), यादकरे तेरी मैना(इछहदी गीत), चोर के दाढ़ी में तिनका (कविता)औरबेघरनी घर भूत के डेरा(कहानी) जैसे अनमोल गीत समाज को दिया।
सन् 1974 सेलोकगायन की शुरूआत करने वाली मैनावती देवी को पहला सम्मान सन् 1981 में लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के 94वें जन्मदिवस के अवसर परबिहार में “भोजपुरी लोक साधिका” का सम्मान मिला। उन्हें 1994 में अखिल भारतीय भोजपुरी परिषद लखनऊ द्वारा भोजपुरी शिरोमणि का सम्मान ठुमरी गायिका गिरिजा देवी के हाथों मिला था। 2005 में गोरखपुर महोत्सव में योगी आदित्यनाथ द्वारा नवरत्न सम्मान से भी सम्मानित हुई।