- लजीज खाने में नवाबी रामपुर का जायका l
- मशहूर कुरैशी ब्रदर्स के साथ खो चुके शाही स्वाद का जश्न l
- एक रुपए के अतिरिक्त चार्ज में रामपुर की प्रीमियम व्हिस्की l
TIL Desk लखनऊ: शहर के गोमतीनगर में स्थित होटल फेयरफील्ड बाय मैरिएट के कावा रेस्टोरेंट में दस दिवसीय फूड फेस्टिवल की शुरुआत हो चुकी है। 20 मार्च को शुरू हुए “रिवायत – ए – रामपुर” में नवाबी रामपुर के भूले बिसरे व्यंजनों का जायका वापस आ चुका है। जनरल मैनेजर रोहित पांडे ने बताया कि होटल फेयरफील्ड बाई मैरियट हमेशा अपने मेहमानों के लिए कुछ अलग स्वाद लेकर आता है। जिसके मद्देनजर इस महीने 20 से 30 मार्च तक “रिवायत – ए – रामपुर” फूड फेस्टिवल की शुरुआत की गई। खाने के शौकीनों के लिए इन शाही व्यंजन में मशहूर कुरैशी ब्रदर्स शेफ अमजद और शेफ सफुअल कुरैशी के हाथों का स्वाद है।
रामपुरी व्यंजन जो अपने धीमी आंच पर पकाए जाने वाले व्यंजनों संबंधित मसाले और बेहतरीन खाना पकाने की तकनीको के लिए जाना जाता है । “रिवायत – ए – रामपुर” के साथ फेयरफील्ड बाय मैरिएट लखनऊ का उद्देश्य इस समृद्ध विरासत को पुनर्जीवित कर उसका जश्न मनाना हैl
फूड एंड बेवरेज मैनेजर जितेंद्र सिंह ने बताया कि होटल में व्यंजनों के साथ संगीत का मजा भी लिया जा सकता है वहीं एग्जीक्यूटिव शेफ रंजन ठाकुर ने बताया कि मेहमानों के लिए यखनी पुलाव तार गोस्त कोरमा और अदरक का हलवा जैसे व्यंजनों के साथ-साथ अन्य खास रामपुरी व्यंजनों के साथ एक स्पेशल बफेट तैयार किया गया है। इस अनुभव को और रोमांचक बनाने के लिए लाइव फूड स्टेशन, थीम आधारित सजावट के साथ रोमांचक संगीत और शानदार शाही भोजन का आयोजन किया गया हैं ।
मात्र एक रुपए के अतिरिक चार्ज में रामपुर की स्पेशल व्हिस्की l यह एक रोमांचक पेशकश है। मेहमानो को सिर्फ एक रुपए के अतिरिक चार्ज में रामपुर की प्रीमियम स्पेशल व्हिस्की का गिलास शाही अंदाज का अनुभव प्रदान करेगा। रामपुर की रिवायत और लखनऊ की नवाबी से मिली इस महोत्सव की प्रेरणा : रंजन ठाकुर
रामपुर के भूले बिसरे मशहूर शाही व्यंजनों का स्वाद जुबां पर वापस लाकर उससे परिचित कराने की इच्छा से पैदा हुआ। लखनऊ की गहरी जड़े वाली नवाबी परंपराओं को देखते हुए यह इन साधनों को जीवंत करने के लिए एकदम सही जगह थी । रामपुर की विरासत के खाने के स्वाद में अपनी महारत के साथ कुरैशी ब्रदर्स की विशेषज्ञता मेहमानों के लिए एक प्रामाणिक और रोमांच भरा अनुभव दे रहे हैं । ऐसे कार्यक्रम के आयोजन देश की विविधता के साथ उसकी सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देते हैं। जो पुराने खाने की पहचान और उसके स्वाद को नई पीढ़ी तक पहुंचाती है।