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ठुमरी क्वीन का राजकीय सम्मान के साथ काशी में होगा अंतिम संस्कार

ठुमरी क्वीन का राजकीय सम्मान के साथ काशी में होगा अंतिम संस्कार

वाराणसी डेस्क/ भारतीय शास्त्रीय संगीत का विख्यात सितारा और ‘ठुमरी की रानी’ गिरिजा देवी का मंगलवार को कोलकाता में हृदयगति रुकने से निधन हो गया। गिरिजा देवी ने 88 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनके निधन से उनके गृह जनपद वाराणसी में शोक की लहर है।

अपने शिष्यों और चाहने वालों के बीच गिरिजा देवी ‘अप्पा जी’ के नाम से लोकप्रिय थीं। हालांकि गिरिजा देवी ख्याल गायन भी खूब करती थीं, लेकिन उनकी ख्याति विशेष तौर पर ठुमरी, कजरी, चैती, दादरा जैसे उपशास्त्रीय संगीत के लिए थी। कुछ माह पहले किशोरी अमोनकर के निधन के बाद गिरिजा देवी कका भी चले जाना, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है।

गिरिजा देवी काफी लम्बे समय से कोलकाता में रह रहीं थीं। लेकिन बनारस से उनका मोह कभी कम नहीं हुआ। उनका बनारस आना जाना लगा रहता थ।. 8 मई 1929 को जन्मी गिरिजा देवी ने उस समय गायन को अपना प्रोफेशन चुना जब संभ्रांत परिवारों में महिलाओं के लिए इसे सम्मानजनक नहीं माना जाता था। परिवारीजनों के अनुसार मंगलवार को उन्हें सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मौत हो गई।

गिरिजा देवी का अंतिम संस्कार बुधवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. इसके लिए जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि ठुमरी के अनमोल सितारे का अस्त हो गया। संगीत से जुड़ा ऐसा कोई ही पुरस्कार हो जो उन्हें न मिला हो। गिरिजा देवी को पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण के अलावा संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, अकादमी फेलोशिप, यश भारती समेत कई पुरष्कारों से उन्हें सम्मानित किया जा चुका था।

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