देहरादून डेस्क/ कई हफ्तों तक उत्तराखंड की सियासत में भूचाल मचाने वाला शक्तिमान घोड़ा अंधविश्वास की भेंट चढ़ गया। 14 मार्च को बीजेपी के प्रदर्शन के दौरान घायल हुए शक्तिमान की मौत ने राज्य के कई दिग्गज चेहरों को विपक्षियों पर हमले का सियासी मौका थमा दिया। इसमें सबसे आगे बढ़-चढ़कर राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हिस्सा लिया।
घोड़े की मौत से खुद को आहत बताने वाले सीएम हरीश रावत की पहल पर देहरादून में 2 अलग-अलग जगहों पर शक्तिमान घोड़े की प्रतिमाएं बनवा दी गई। इसमें विधानसभा चौक पर स्थापित की गई शक्तिमान की मूर्ति भी शामिल थी। हांलाकि अबतक घोड़े की मौत पर सियासत कर रहे मुख्यमंत्री हरीश रावत अंधविश्वास के चक्कर में पड़ गए और प्रतिमा का अनावरण करने नहीं पहुंचे, जिसके बाद विधानसभा चौक पर लाखों रुपये खर्च कर तैयार शक्तिमान की मूर्ति को प्रशासन ने तोड़ दिया है। सीएम हरीश रावत का कहना है कि वह घोड़े शक्तिमान को लेकर कोई राजनीति नहीं करना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री हरीश रावत के यूं अचानक शक्तिमान के मुद्दे से पल्ला झाड़ लेने के क्या निहितार्थ है। इसका विश्लेषण किया जा रहा है क्योंकि कल तक इस मुद्दे पर 2017 के विधान सभा चुनावों में बीजेपी को घेरने के लिए तैयार हरीश रावत व कांग्रेस के ह्रदय परिवर्तन के खासे मायने है।