यूपी डेस्क/ ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने धर्मस्थलों पर बगैर अनुमति लाउडस्पीकर बजाने पर प्रतिबंध का जो आदेश जारी किया है, उस पर हिंदू और मुस्लिम धर्म गुरूओं ने अलग-अलग राय दी है। कुछ ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है। इस मामले में उलमा भी एकमत नहीं हैं। उनमें से ज्यादातर का मानना है कि मस्जिद और मंदिर को इस फरमान से अलग रखना चाहिए क्योंकि इन जगहों पर लाउडस्पीकर बजने का समय तय होता है।
रामजन्मभूमि के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास ने धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए जाने के सरकार के निर्णय पर कहा कि सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। मंदिरों में कथा, प्रवचन, रामायण, संकीर्तन का प्रसार ध्वनि प्रसारक यंत्रों के माध्यम से होता है। इससे धार्मिक कार्यों को बढ़ावा मिलता है, इन पर रोक लगने से धार्मिक भावनाएं आहत होंगी।
रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती ने कहा कि हम योगी सरकार के निर्णय का समर्थन करते हैं। धर्मस्थलों पर अनावश्यक लाउडस्पीकर बजने पर रोक लगनी चाहिए। कहा कि मंदिर-मस्जिदों में अनुमति के बाद ही लाउड स्पीकर बजें, साथ ही उनकी ध्वनि भी नियंत्रित हो।
ज्योतिष गुरू स्वामी डॉ. हरिदयाल शास्त्री का कहना है कि धर्मस्थलों से लाउडस्पीकर हटाने का निर्णय उचित है। पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन तक तो ठीक है लेकिन कुछ धर्मस्थलों पर लंबे समय तक लाउडस्पीकर बजते रहते हैं जिससे लोगों को काफी दिक्कत होती है। धार्मिक कार्यों के नाम पर लोगों की शांति भंग करना धर्म के भी खिलाफ है।
इस पर मौलाना अबुल इरफान मिंया फरंगी महली मस्जिदों में पांच वक्त की अजान का समय तय है। अजान दो से तीन मिनट तक ही होती है। मंदिरों में भी सुबह-शाम आरती का समय तय है। सरकार मंदिर व मस्जिद के लिए अनुमति की बाध्यता खत्म कर दे। हां कई धार्मिक आयोजन अधिक समय तक चलते हैं। इनके लिए आदेश लागू होना चाहिए।
मामले पर ईदगाह ऐशबाग के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का कहना है कि आदेश सियासी नहीं है। ध्वनि प्रदूषण पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट पहले ही ऐसा आदेश दे चुका है। हाईकोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने सभी धार्मिक स्थलों के लिए सर्कुलर जारी किया है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। मस्जिद कमेटी जल्द से जल्द अनुमति की प्रक्रिया पूरी कर ले ताकि किसी तरह की दुश्वारी न हो।