यूपी डेस्क/ बीएसपी की करारी हार के बाद पार्टी में सिर फुटौव्वल तेज हो गई है। इसका नजारा उस समय देखने को मिला, जब पश्चिमी यूपी पहुंचे राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन को अपनी ही पार्टी के नेताओं के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। वह 11 अप्रैल को ईवीएम के खिलाफ होने वाले प्रदेशव्यापी प्रदर्शन की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे थे। इस विरोध के बाद पूर्व सांसद समेत कई नेताओं और पदाधिकारियों को निष्कासित कर दिया गया है। बीएसपी प्रमुख मायावती ने चुनाव में ईवीएम के जरिए गड़बड़ी का आरोप लगाया था। उन्होंने प्रदेशभर में प्रदर्शन का भी ऐलान किया था। उनके ही निर्देश पर पहला प्रदर्शन 11 अप्रैल को होना है। उन्होंने प्रदर्शन की तैयारियों के लिए बीएसपी के वरिष्ठ नेताओं को जायजा लेने का जिम्मा सौंपा है। इस सिलसिले में वह मेरठ, मुरादाबाद और मुजफ्फरनगर गए थे। यहां उनके सामने पार्टी नेताओं का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने टिकट वितरण में भ्रष्टाचार और अपनों को टिकट देने के आरोप लगाए। इसी को उन्होंने बीएसपी की खराब हालत का जिम्मेदार ठहराया।
मुजफ्फरनगर में नसीमुद्दीन के खिलाफ ही खूब नारेबाजी हुई। मंगलवार को मेरठ में दो गुट आपस में भिड़ गए। हारे हुए प्रत्याशी योगेश वर्मा ने आरोप लगाया कि उत्तराखंड प्रभारी प्रशांत गौतम ने साजिशन उन्हें हरवाया। राव अतर सिंह पर भी पैसे लेने के आरोप लगाए गए। इसके बाद बीएसपी प्रमुख मायावती के निर्देश पर जिलाध्यक्ष अश्वनी जाटव ने बीएसपी नेता प्रशांत गौतम, पूर्व सांसद शाहिद अखलाक, वरिष्ठ नेता कांति प्रसाद को पार्टी से निष्कासित कर दिया।
नसीमुद्दीन बुधवार को मुरादाबाद में थे। यहां बीएसपी छोड़ बीजेपी जॉइन कर चुके पूर्व विधायक बलराम सैनी के नेतृत्व में बैठक स्थल के बाहर सिद्दीकी के खिलाफ नारेबाजी हुई। बैठक खत्म होने से पहले ही नसीमुद्दीन वहां से निकल लिए। अब माना जा रहा है कि उत्तराखंड की तरह यूपी में भी बीएसपी प्रदेश संगठन में भारी फेरबदल कर सकती है।