State, Uttar Pradesh, हिंदी न्यूज़

“अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024- दूसरा दिन” परम्परागत चिकित्सा पर हुई वैश्विक परिचर्चा

“अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024- दूसरा दिन” परम्परागत चिकित्सा पर हुई वैश्विक परिचर्चा

विश्व भर से आए प्रतिनिधियों ने आयुष के व्यापक व्यापार, नवाचार व अनुसंधान पर विचार मंथन किया

TIL Desk Lucknow/ “अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024” के दूसरे दिन न केवल आयुष चिकित्सा पद्धतियों से जुड़े ज्ञान व जानकारियों का आदान-प्रदान किया गया, बल्कि इन पद्धतियों की वैश्विक मान्यता के लिए आवश्यक नेटवर्किंग के अवसरों को बढ़ाने पर भी विचार मंथन हुए। दूसरे दिन के सत्रों में आयुष के क्षेत्र को आगे बढ़ाने और व्यापक स्वास्थ्य देखभाल समाधानों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गहन परिचर्चाएं हुईं।

पहले सत्र का केंद्र बिंदु यूएसएफडीए के नेतृत्व में एक कार्यशाला थी, जो अमेरिकी बाजार में आयुष उत्पादों के निर्यात के लिए जटिल नियामक ढांचे पर ध्यान केंद्रित थी। प्रतिभागियों ने यूएसएफडीए नियमों, सीजीएमपी आवश्यकताओं, लेबलिंग दिशानिर्देशों और अनुपालन के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की। इसमें सीएफआर 117, सीएफआर 111, सीएफआर 101 और 21 सीएफआर 111 जैसे महत्वपूर्ण खंड भी शामिल रहे। विशेषज्ञों ने यहां कहा कि अमरीका में फूड प्रोडक्ट्स के निर्यात के मामले में भारत सबसे बड़े निर्यातकों में शामिल है।

अगले सत्र में “आयुष प्रणालियों के एकीकरण के माध्यम से एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना: अवसर एवं रोडमैप” विषय पर बात हुई। इस सत्र में उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने और वैश्विक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में आयुष प्रणालियों के महत्व पर जोर दिया गया। उद्योग से जुड़े लोगों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यहां एकीकृत स्वास्थ्य दृष्टिकोण की ओर बदलाव के साथ, प्रीवेंटिव केयर, मानसिक स्वास्थ्य और व्यक्तिगत उपचार में आयुष की भूमिका चर्चा करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला गया कि आयुष प्रथाएं मुख्य रूप से पर्यावरण-अनुकूल दृष्टिकोण को बढ़ावा देती हैं। यहां एक महत्वपूर्ण बात यह निकलकर आई कि लगभग 10,000 आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र सक्रिय उपचार प्रदान कर रहे हैं और ज्यादातर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय हैं।

अगला सत्र “आयुष उत्पादों और सेवाओं का वैश्वीकरण और मानकीकरण: पारंपरिक उत्पादों के लिए भारत के निर्यात का मूल्यांकन” पर केंद्रित था। इसमें पारंपरिक आयुष उत्पादों में भारत के निर्यात प्रयासों का गहन मूल्यांकन, चुनौतियों, विकास के अवसरों और आयुष उत्पाद व्यापार में भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने की रणनीतियों का समाधान शामिल था।

दोपहर के सत्र, “सिनर्जाइज़िंग फार्मा एंड आयुष: इंटीग्रेटेड हेल्थकेयर सॉल्यूशंस के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण की खोज” में विशेषज्ञों ने जीवनशैली संबंधी विकारों के निदान में आयुष पद्धतियों के महत्व पर प्रकाश डाला। विषय पर विस्तृत चर्चा करते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि अपने समग्र दृष्टिकोण के कारण आयुष में वैश्विक और भारतीय रुचि बढ़ रही है। भारत सरकार स्थानीय स्वास्थ्य परंपराओं को पुनर्जीवित करने और उन्हें मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल में एकीकृत करने के लिए आयुष को बढ़ावा दे रही है।

अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024 के दूसरे दिन का समापन “आयुष उत्पादों के अनुसंधान, विकास और विनिर्माण में प्रगति के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग” शीर्षक सत्र से हुआ। इस सत्र में प्रतिष्ठित उद्योग पेशेवरों ने पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल प्रथाओं को आधुनिक बनाने और बढ़ाने में डिजिटल प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने व्यापक स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य में पहुंच, विश्वसनीयता और एकीकरण में सुधार के लिए डिजिटल उपकरणों के महत्व को रेखांकित किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *