TIL Desk लखनऊ:होली पर्व हो और गुझिया की बात न हो तो अधूरी रहती है होली क्योंकि अबीर-गुुलाल इस पर्व में उल्लास-उत्साह भरते हैं तो गुझिया उसमें मिठास घोलने का काम करती है। पहले गुझिया घरों में ही बनाई जाती थी। समय के साथ अब यह मिठाई शॉप से लेकर बेकरी तक में मिल रही है।
जहां गोल्डन गुझिया से लेकर बेक्ड व शुगर फ्री तक करीब 20 से अधिक वैराइटी की गुझिया मिल रही है। होली को देखते हुए राजधानी के तमाम मिठाई व बेकरी ओनर्स गुझिया की विशाल रेंज लेकर आये हैं। और यदि मिठाई की बात हो तो छप्पन भोग का नाम न आय या हो नहीं सकता जी है इस होली छप्पन भोग ने वही इस बार छप्पन भोग के ओनर ने कहा कि इस बार चार उत्सव एक साथ पड़े हैं एक एक हमारा महाकुंभ सबसे बड़ा उत्सव रहा है जिसमें देश-विदेश से करीब 60 करोड लोग आकर प्रयागराज में स्नान किया है इसमें पूरे विश्व से लोग आए यह हमारे भारत के संस्कृति को दर्शाता है |
इसलिए हमने महाकुंभ की थीम पर भी गुजिया बनवाई है जो की दुनिया की सबसे बड़ी गुजिया है एक संगम को दर्शाता हुआ भी गुजिया बनाई है और जो इंडिया जीती है उसका भी त्यौहार हम लोग मना रहे हैं और एक जो हमारा त्यौहार रंगों की होली का है और इसके अलावा जो साथ-साथ रमजान चल रहे हैं जो कि भारत की एकता को दर्शाता है उसी को देखते हुए हम लोग ने 14 तरह की गुजिया बनाई है जिसमे सोने की भी गुजिया है जो की 56 हजार रुपए किलो है और इसके अलावा दुनिया की सबसे बड़ी गुजिया भी शामिल है और साथ-साथ दुनिया की सबसे छोटी गुजिया भी शामिल है हम लोग यही संदेश देना चाहे कि हम लोग एक मिलकर यह त्यौहार मनाए चाहे वह हिंदू हो चाहे मुस्लिम हो चाहे वह सीख हो बस एक दूसरे के साथ रहकर यह खुशी का त्योहार मनाए |