हैदराबाद डेस्क/ आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच जजों के टेम्परेरी अलॉकेशन का विवाद काफी बढ़ गया है। हैदराबाद हाईकोर्ट ने डिसिप्लिनरी ग्राउंड पर लोअर कोर्ट के 9 जजों को सस्पेंड कर दिया। इस तरह सस्पेंड हुए जजों की संख्या बढ़कर 11 हो गई। समझा जा रहा है कि इसी के खिलाफ तेलंगाना के करीब 200 जज 15 दिन की छुटी पर चले गए हैं। वहीं, गुस्साए ज्यूडिशियल ऑफिसर्स ने कोर्ट में तोड़फोड़ भी की। अलग हाईकोर्ट की मांग भी तेज हो गई है।
इस मसले को सुलझाने के लिए तेलंगाना के सीएम के चंदशेखर राव ने मोदी को 10 बार फोन किया। उनकी बेटी के. कविता का कहना है कि इतने फोन कॉल के बाद भी केंद्र ने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया। वहीं, देश के कानून मंत्री सदानंद गौड़ा का कहना है कि तेलंगाना को जरूरी लगता है तो उसे अपने चीफ जस्टिस से मिलकर अलग हाईकोर्ट की बात करनी चाहिए। इस मामले में केंद्र सरकार का कोई रोल नहीं है।
इस मामले में तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव जल्द ही दिल्ली में अलग हाईकोर्ट की मांग को लेकर धरना देने वाले हैं। उनका कहना है कि तेलंगाना के लिए अलग हाईकोर्ट राज्य की ऑटोनामी के लिए जरूरी है। बता दें कि 2014 में तेलंगाना राज्य बनने के बाद से ही अलग-अलग मुद्दों पर आंध्र प्रदेश सरकार और तेलंगाना सरकार के बीच टकराव होता रहा है।
आंध्र प्रदेश में तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) की सरकार और चंद्रबाबू नायडू मुख्यमंत्री हैं। टीडीपी केंद्र में एनडीए सरकार का हिस्सा है। लोअर कोर्ट के जज आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के बीच जजों के बांटने की प्रोसेस से नाखुश हैं। इनका कहना है कि आंध्रप्रदेश से कई जजों को तेलंगाना भेजने से उनके प्रमोशन पर असर पड़ेगा।
तेलंगाना के सभी जज हाईकोर्ट के करंट स्टेटस से भी खुश नहीं हैं। बता दें कि दोनों राज्यों में फिलहाल एक ही हाईकोर्ट है। हाईकोर्ट ने तेलंगाना जजेज एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रवींद्र रेड्डी और सेक्रेटरी वी वारा प्रसाद को सस्पेंड किया गया था। एसोसिएशन रविवार से आंदोलन कर रहा है। बता दें कि तेलंगाना के एडवोकेट और ज्यूडीशियल इम्प्लॉई आंध्र प्रदेश (अलग-अलग राज्य बनने) के रहने वाले ज्यूडीशियल राइट्स को तेलंगाना कोर्ट में भेजे जाने का विरोध कर रहे हैं। तेलंगाना सरकार ने भी आंध्र के जजों के अप्वाइंटमेंट जिला कोर्ट में किए जाने पर आपत्ति जताई है। पिछले दो दिनों से हैदराबाद में एडवोकेट प्रदर्शन भी कर रहे हैं।