यूपी डेस्क/ राष्ट्रीय राजधानी के घने कोहरे से घिरने के साथ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आज दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा की सरकारों को फटकार लगाई और यह साफ करने को कहा कि क्षेत्र में वायु की ‘‘गंभीर’’ होती स्थिति में सुधार के लिए एहतियाती उपाय क्यों नहीं किए गए। एनजीटी के प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व वाली एक पीठ ने आपात स्थिति से निपटने के लिए पहले से तैयार ना रहने के लिए राज्य सरकारों को फटकारा। राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार सुबह से ही घने कोहरे की एक चादर सी छाई रही। ऐसा प्रदूषण के स्तर के स्वीकृत मानकों से कई गुना ज्यादा होने के कारण हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता दर्ज की है जिसका मतलब है कि प्रदूषण की तीव्रता काफी ज्यादा है।
पीठ ने कहा, ‘‘परिवेशी वायु गुणवत्ता इतनी बुरी है कि बच्चे सही से सांस नहीं ले पा रहे। आप हमारे निर्देशानुसार हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल कर पानी का छिड़काव क्यों नहीं करते? आप निर्देश लें और हमें दो दिन बाद सूचित करें।’’ एनजीटी ने राज्य सरकारों से यह साफ करने को कहा कि उन्होंने रोकथाम एवं एहतियाती उपाय क्यों नहीं किए क्योंकि यह पहले ही बताया गया था कि इस तरह की स्थिति के सामने आने की आशंका है। पीठ ने सीपीसीबी से यह बताने को भी कहा कि स्थिति से निपटने के लिए उसने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए क्या आपात निर्देश जारी किए।
अधिकरण दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में खराब होती वायु गुणवत्ता को लेकर तत्काल कार्रवाई की मांग से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कहा गया है कि ‘‘पर्यावरण से जुड़ी आपात स्थिति’’ से सबसे ज्यादा बच्चे एवं वरिष्ठ नागरिक प्रभावित हो रहे हैं। याचिका में सीपीसीबी की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया जिसके अनुसार दिल्ली में 17, 18 और 19 अक्तूबर को परिवेशी वायु गुणवत्ता ‘‘बहुत ही खराब’’ पाई गई। इसमें कहा गया कि एनजीटी से पिछले साल इस तरह के विस्तृत आदेश मिलने के बावजूद अधिकारियों ने इसकी बुरी तरह अनदेखी की।