यूपी डेस्क/ धार्मिक व सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के लिए आवेदन करने का जिला प्रशासन अब मौका नहीं देगा। यह जानकारी डीएम कौशलराज शर्मा ने सोमवार रात तक अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद दी। डीएम ने बताया कि 1500 आवेदन मिले हैं। अभी तक 60 आवेदकों को लाउडस्पीकर की सशर्त अनुमति दी गई है। इनमें कई बड़े धार्मिक स्थल भी शामिल हैं। डीएम का कहना है कि अभी तक जो आवदेन आए हैं, उन्हें 20 जनवरी तक जांच के बाद मानक के अनुसार अनुमति दी जाएगी। 21 जनवरी से जिला प्रशासन पुलिस की मदद से बिना अनुमति लगे लाउडस्पीकर उतरवाने की प्रक्रिया शुरू करेगा। डीएम का कहना है कि नियमों का उल्लघंन करने वाले लोगों के खिलाफ सीधे कोर्ट में केस दर्ज कराया जाएगा। सबसे ज्यादा आवेदन एसीएम द्वितीय और एसीएम छह के क्षेत्र से किए गए हैं।
डीएम का कहना है कि जो भी अनुमति दी जा रही हैं वो रिहायशी, कमर्शल, इंडस्ट्रियल और साइलेंस जोन को ध्यान में रखकर दी जा रही हैं। तय सीमा से अधिक शोर होने पर अनुमति निरस्त कर दी जाएगी। नियम तोड़ने वाले को दोबारा अनुमति नहीं दी जाएगी। डीएम का कहना है कि सिर्फ एक साल की अनुमति ही दी जाएगी। एक साल के बाद फिरसे अनुमति के लिए आवेदन करना होगा।
ये हैं नियम
-बिना अनुमति के लउडस्पीकर बजाने पर ध्वनि प्रदूषण नियम-2000 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
-ध्वनि प्रदूषण नियम-2000 के अंतर्गत क्षेत्र और समय के मुताबिक निर्धारित ध्वनि सीमा को ध्यान में रखते हुए लाउडस्पीकर या अन्य आवाज वाले यंत्र लगाने की अनुमति दी जाएगी।
-बिना अनुमति के लाउडस्पीकर का प्रयोग करने पर पर्यावरण (संरक्षण) 1986 अधिनियम की धारा 15 के तहत दंडनीय अपराध है। इसका उल्लंघन करने पर पांच साल का कारावास या एक लाख का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।